महराजगंज: नौतनवां की सिमरन कैसे पहुंची सफलता के शिखर पर, जानिये डिप्टी जेलर बनने की उसकी पूरी कहानी

डीएन संवाददाता

नौतनवां निवासी अनिल सोनी ने बच्चों को संस्कारों के साथ ऐसी शिक्षा में अग्रणी बनाया जिससे माता-पिता, गुरू के साथ जिले का भी नाम गौरान्वित हो। पढें डाइनामाइट न्यूज की यह खास रिपोर्ट

अपनी मां उपमा देवी के साथ सिमरन
अपनी मां उपमा देवी के साथ सिमरन


नौतनवां (महराजगंज): 'लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'। नौतनवां की सिमरन पर यही बात चरितार्थ होती है। लगातार मेहनत के अलावा माता-पिता, गुरूओं के मिले सहयोग ने आज जनपद के नौतनवां तहसील की सिमरन को कामयाबी के शिखर तक पहुंचा दिया है।

लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली सिमरन डिप्टी जेलर के पद पर चयनित हुई है।

डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में सिमरन ने अपनी सफलता की कहानी के शेयर किया और लगातार मेहनत व संघर्षों को इसका परिणाम बताया।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

सिमरन नौतनवां तहसील के वार्ड नंबर 9 मधुबन नगर की निवासी है। उनके पिता का नाम अनिल सोनी है।अनिल सोनी के बडे बेटे अश्वनी देवरिया में यूपी पुलिस सेवा में कार्यरत हैं। इसके अलावा सूरज वर्मा, राहुल वर्मा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे हैं। 

तीसरे प्रयास में मिली सफलता
सिमरन दो बार यूपीपीएससी परीक्षा में असफल रही किंतु हार न मानकर पुनः गलतियों से सबक लेते हुए प्रयास किया तो तीसरे प्रयास ने उन्हें अब सफलता मिली। अब बतौर डिप्टी जेलर ज्वाइनिंग और प्रशिक्षण के उपरांत सिमरन की पोस्टिंग होगी। 

18 घंटे का निरंतर अभ्यास 
डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में नौतनवां निवासी सिमरन ने बताया कि किसी भी कार्य में लगन और तत्परता को होना जरूरी है। रात की नींद और दिन का सुकून दोनों छिन जाए तो आप समझें कि आपका सपना सच्चा है। मैंने 6 घंटे कोंचिग, 6 घंटा अभ्यास और 6 घंटे स्वयं के विवेक से उसका अभ्यास किया जिस कारण आज सफलता सभी के सामने है। 

यह रहे आदर्श 
सिमरन ने डाइनामाइट न्यूज को बताया कि पिता अनिल सोनी, माता श्रीमती उपमा देवी, भाई अश्वनी के अलावा मेरी गुरू स्व. आर डी सिंह का मोटिवेशन रंग लाया। इनके सहयोग से ही मेरा यह सपना सच हो सका है। 

दिए यह टिप्स
सिमरन सोनी ने डाइनामाइट न्यूज के माध्यम से अपनी सफलता के टिप्स प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को दिए। उन्होंने सफलता का बस एक ही मंत्र दिया कि निरंतर अभ्यास और अपनी कमियों को परखकर उन्हें दूर करने के बाद निश्चित ही सफलता मिलेगी।










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