आयकरदाताओं से जुड़ी बड़ी खबर, घोषित आय में तालमेल पर सरकार ने जारी की चेतावनी, जानिये किन पर होगी कार्रवाई

डीएन ब्यूरो

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि आयकर विभाग के पास उपलब्ध सूचना और घोषित आय में तालमेल न होने के आधार पर भेजे गए एक लाख आयकर नोटिस का आकलन मार्च, 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण


नयी दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि आयकर विभाग के पास उपलब्ध सूचना और घोषित आय में तालमेल न होने के आधार पर भेजे गए एक लाख आयकर नोटिस का आकलन मार्च, 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, आयकर विभाग ने अपने पास उपलब्ध सूचना और व्यक्तिगत करदाताओं की तरफ से आयकर रिटर्न (आईटीआर) में दी गई सूचना के बीच तालमेल न होने पर 50 लाख रुपये से अधिक आय वाले करीब एक लाख लोगों को नोटिस भेजे हैं। इसके अलावा कर रिटर्न जमा न करने वाले लोगों को भी नोटिस भेजे गए हैं।

सीतारमण ने 164वें आयकर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मुझे आश्वस्त किया है कि मार्च, 2024 तक सभी एक लाख नोटिस का निपटान कर लिया जाएगा। ये नोटिस 50 लाख रुपये से अधिक आय वाले लोगों को विभाग के पास उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर जारी किए गए हैं।’’

आयकर कानून के तहत विभाग छह साल तक के कर विवरणों का दोबारा आकलन कर सकता है।

इस पर सीतारमण ने कहा, ‘‘अब छह साल के बाद किसी भी व्यक्ति के कर आकलन को दोबारा नहीं खोला जाएगा। चौथे, पांचवें और छठे साल में भी दोबारा आकलन सिर्फ कुछ खास परिस्थितियों में ही किया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा कि प्रमुख मुख्य आयुक्त स्तर के अधिकारी की मंजूरी मिलने के बाद ही ये मामले दोबारा खोले गए हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि सीबीडीटी ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर भेजे गए 55,000 नोटिस की समीक्षा का काम मई, 2023 में पूरा कर लिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘आज के समय में सीबीडीटी भेजे गए नोटिस पर बैठा हुआ नहीं है। यह विवेकाधिकार वाली जगह नहीं है, ऐसी जगह नहीं है जहां व्यवस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है, यह एकदम स्पष्ट नजरिया है।’’

उन्होंने कहा कि आयकर की दरों में बढ़ोतरी नहीं करने के बावजूद आयकर विभाग के सक्षम होने से कर राजस्व बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार कराधान और इसकी दरों को लोगों के अनुकूल बनाने की सोच रखती है।










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