फतेहपुर में मिट्टी खनन को लेकर भिड़े भाजपा जिलाध्यक्ष और डीएफओ
राज्य की भाजपा सरकार में अफसरों और नेताओं दोनों की मनमानी चरम पर है। अफसर जहां अपनी अकड़ में खुद को सर्वोपरि समझ रहे हैं तो वहीं सत्ता पक्ष के नेताओं की जिले में मानो कोई हैसियत ही नही रह गयी है। सोमवार को डीएफओ के दफ्तर में सत्ताधारी दल के प्रमुख नेता और वन विभाग के बड़े अफसर के बीच जमकर भिड़ंत हुई। एक-दूसरे को देख लेने की धमकी दी गयी। एक्सक्लूसिव खबर..
फतेहपुर: सोमवार की दोपहर 2.30 बजे वन विभाग के कार्यालय में सत्ताधारी दल के जिलाध्यक्ष दिनेश बाजपेयी और प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी, वन प्रभाग के बीच मिट्टी खनन को लेकर जमकर हंगामा व बवाल हुआ। एक-दूसरे को देख लेने की धमकी दी गयी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक डीएफओ के दफ्तर दोपहर में बाजपेयी अपने सहयोगी अजीत सिंह के साथ पहुंचे और ग्राम- करनपुर में पीली/बलुई मिट्टी के खनन की अनुमति की मांग करने लगे।
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डीएफओ सीपीएस मलिक ने नियमों का हवाला देते हुए खनन की अनुमति देने से साफ मना कर दिया जिस पर जिलाध्यक्ष ने डीएफओ की जमकर ऐसी-तैसी की।
इसके बाद डीएफओ फार्म में आ गये और डीएम के नाम एक पेज का खर्रा लिख डाला। यही नही एसपी को बताया कि जिलाध्यक्ष के गनर ने भी धमकी दी।
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इधर दिनेश बाजपेयी ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा कि डीएफओ अपनी मनमानी पर उतारु हैं तो वहीं मलिक ने डाइनामाइट न्यूज़ पर कहा कि वे कतई मिट्टी खनन की अनुमति नही देंगे।
कुल मिलाकर इस समय जिले की हकीकत यह है कि जिले के अफसर अपनी में अकड़ हैं और उन्हें यह गुमान भी है कि योगी सरकार में तो अफसर ही सर्वे-सर्वा हैं। जनप्रतिनिधियों का तो मानो कोई मायने मतलब ही नही।
दोनों पक्ष के तेवर को देखकर साफ है कि यह मामला आने वाले दिनों में औऱ तूल पकड़ेगा।