अदालत का गजब फरमान, शताब्दी एक्सप्रेस का मालिक बन गया ये किसान..

डीएन ब्यूरो

सुनने में अजीब लगेगा, लेकिन एक घंटे में करीब 80 किलोमीटर दौड़ने वाली स्वर्ण शताब्दी की रफ्तार थम सकती है। कोर्ट ने इस ट्रेन के साथ लुधियाना रेलवे स्टेशन मास्टर के ऑफिस की कुर्की के आदेश दिए हैं। ताकि किसान संपूर्ण सिंह की जमीन का करीब 1 करोड़ 5 लाख रुपए का बकाया भुगतान हो सके

शताब्दी एक्सप्रेस
शताब्दी एक्सप्रेस


लुधियानाः रेलवे द्वारा ली गई जमीन के मुआवजे में लुधियाना की जिला अदालत ने अजीबो-गरीब फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने फैसले में स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रैस और लुधियाना स्टेशन को पीड़ित किसान संपूर्ण सिंह को देने को कहा है। इसके साथ ही किसान की अपील पर अदालत ने लुधियाना स्टेशन और स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रैस की कुर्की के आदेश भी दिए हैं।  

क्या है पूरा मामला
दरअसल ये मामला लुधियाना-चंडीगढ़ ट्रैक के लिए अधिगृहित की गई एक जमीन के मुआवजे से जुड़ा हुआ है। 2007 में किसान संपूर्ण सिंह की जमीन रेलवे ने अधिगृहित की थी, कोर्ट ने बाद में प्रति एकड़ मुआवजे की रकम 25 लाख से 50 लाख कर दी। इस हिसाब से संपूरण सिंह को कुल 1 करोड़ 5 लाख रुपये मिलने थे पर रेलवे ने केवल 42 लाख रुपये दिए। 2012 में संपूर्ण सिंह ने कोर्ट में केस किया।

कोर्ट का फैसला
2015 में कोर्ट का फैसला संपूर्ण सिंह के पक्ष में आया और रेलवे को ब्याज के साथ मुआवजे की रकम अदा करने का आदेश दिया गया। लेकिन लंबे समय तक जब रेलवे ने मुआवजे की रकम नहीं अदा की तो कोर्ट ने संपूण सिंह के पक्ष में डिक्री देते हुए स्टेशन और स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के कुर्की का आदेश दे दिया। इस कुर्की से किसान के मुआवजे की रकम अदा करने की बात कही गई।

जब किसान गया ट्रेन को घर ले जाने
अदालती आदेश के बाद ट्रेन के मालिक बन चुके किसान संपूर्ण सिंह इस ट्रेन को अपने घर नहीं ले जा सके। ट्रेन पर अपना कब्जा लेने के लिए किसान अपने वकील के साथ रेलवे स्टेशन भी पहुंचें,  अदालत का आदेश पत्र रेल ड्राइवर को भी सौंपा गया। लेकिन रेलवे के सेक्शन इंजीनियर ने ट्रेन को किसान के कब्जे में जाने से रोक दिया और बताया गया कि ये ट्रेन कोर्ट की संपति है।


किसान संपूर्ण सिंह के वकील ने ट्रेन के ड्राइवर को कोर्ट का आदेश थमाया और नोटिस चस्पा कर दिया। इसके बाद ट्रेन अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गई. किसान संपूर्ण सिंह ने कहा कि उन्होंने ट्रेन को इसलिए नहीं रोका, क्योंकि यात्रियों को दिक्कत होती। किसान के वकील का कहना है कि अगर मुआवजे की रकम नहीं मिली तो अदालत से कुर्क की गई रेलवे की संपत्ति की नीलामी की सिफारिश की जाएगी।
 










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