पहले फिल्मों में खलनायक के पास नकारात्मक किरदार की वजह नहीं होती थी, लेकिन अब है: प्रेम चोपड़ा

डीएन ब्यूरो

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प्रेम चोपड़ा
प्रेम चोपड़ा


मुंबई:  अभिनेता प्रेम चोपड़ा ने कहा है कि नकारात्मक भूमिकाएं कहानी को दिलचस्प बनाती हैं और पूर्व के विपरीत आजकल की फिल्मों में खलनायक के पास नकारात्मक भूमिका की वजह होती है।

संदीप रेड्डी वांगा की 'एनिमल' में अतिथि भूमिका के लिए चोपड़ा (88) की सराहना की जा रही है, जिन्होंने 1970 और 80 के दशक की फिल्मों में सभी प्रकार के नकारात्मक किरदार निभाये थे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक चोपड़ा ने कहा कि पहले की फिल्मों में नकारात्मक किरदारों का औचत्य नहीं बताया जाता था और उन्होंने 1973 में आई फिल्म ‘बॉबी’ की मिसाल दी। इस फिल्म का निर्देशन राज कपूर ने किया था जिसमें ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया प्रमुख भूमिका में थे।

चोपड़ा ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, “ उन दिनों, हम पर बुरे लोग होने का ठप्पा लगा दिया जाता था... यह सीधे तौर पर था, चाहे प्रेम चोपड़ा, अमरीश पुरी, प्राण साहब या कोई और हो।'’

उन्होंने कहा, 'जैसे 'बॉबी' में मेरा सिर्फ एक संवाद था और वह बहुत लोकप्रिय हो गया। राज (कपूर) को सफाई देने की जरूरत नहीं पड़ी। लोग जानते थे कि वह कुछ करने जा रहे हैं।' चोपड़ा ने यह टिप्पणी अपने मशहूर संवाद ‘प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा’ को याद करते हुए की।

चोपड़ा ने कहा, “ (अतीत में) नकारात्मक किरदारों से कहानी को दिलचस्प बनाया जाता था। यह अब भी वैसा ही है। वे फिल्म का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। आजकल, अंतर यह है कि हर नकारात्मक किरदार के पास एक कारण होता है। वह कैसे और क्यों खलनायक बना है।”

अभिनेता ने कहा, ''एनिमल' में, वह (रणबीर) ऐसे क्यों हैं, इसका कारण है और ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पिता को गोली मार दी गई थी और उन्हें बदला लेना था।'

चोपड़ा ने ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर के दादा के बड़े भाई का किरदार निभाया है। 60 साल लंबे करियर के दौरान चोपड़ा ने 'दो रास्ते', 'पूरब और पश्चिम', 'तीसरी मंजिल', 'कटी पतंग', 'सौतन' और 'त्रिशूल' जैसी कई फिल्मों में काम किया है।

उन्होंने कहा कि किरदार के सकारात्मक या नकारात्मक होने की परवाह किए बिना लोग अच्छी प्रस्तुति की ज्यादा सराहना करने लगे हैं।

अभिनेता ने ‘एनिमल’ में बेहतरीन प्रस्तुति के लिए रणबीर की भी प्रशंसा की।

 










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