DN Exclusive: दिवाली पर मंद पड़ी दीयों की रोशनी, कुम्हारों के घरों में अंधेरा, रोजी-रोटी का संकट देखिये महराजगंज से ये खास रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

बदलते वक्त के साथ चाइनीज झालरों के आगे दीयों की रोशनी मंद पड़ गई है, जिस कारण गांवों से कुम्हारो का रोजगार छिन गया है। पढिये डाइनामाइट न्यूज की ये स्पेशल रिपोर्ट



नौतनवा (महराजगंज): दीपोत्सव दिवाली का त्योहार सामने है और माटी के दीये बनाने वाले गांव के कई कुम्हारों के सामने रोटी का संकट आ खडा हुआ है। दरअसल, वदलते वक्त के साथ चाइनीज झालरों ने दियों की रोशनी को फीका कर दिया है और बाजार से दीयों के खरीददार गायब जैसे हो गये हैं। 
शहरों से लेकर गांवों तक चाइनीज झालरों ने क़ब्ज़ा कर रखा है, इन झालरों ने गांव के कुम्हारों का रोजगार छिन लिया है। इसके साथ ही वर्षों से चली आ रही दीयों को जलाने का पुरानी परंपरा का अस्तित्व भी संकट में पड़ गया है। 

डाइनामाइट न्यूज टीम गुरूवार को नौतनवा क्षेत्र में मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हार लोगों से मिली तो कई हैरान करने वाली बातें सामने आई।

दीये बनाने वाले प्रहलाद प्रजापति, मुद्रिका, अनिरुद्ध आदि ने बताया कि उनके परिवार के लोग वर्षों से इस काम में जुटा है। उनके पुरखों ने ही उन्हें गगरी बनाने का काम विरासत में सौंपा। हर साल दिपावली के दीयों की बिक्री से उनके घर व परिवार का भरण पोषण होता था लेकिन जब से चाइनीज झालरों ने मार्केट पर कब्जा किया है, तबसे उनका रोजगार छिन गया है।

कुम्हार जाती के लोगों ने डाइनामाइट न्यूज के माध्यम से लोगों से अपील भी की है कि वो चायनीज झालरों का कम प्रयोग करें और मिट्टी से बने दीयों का इस्तेमाल करें।

उनका कहना है कि लोग मिट्टी के दीयों को खरीदें,  जिससे गांव के लोगों को भी रोजगार का अवसर मिलेगा साथ ही मिट्टी के दीयों से कोई भी प्रदूषण नहीं होगा।










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