दिल्ली हाई कोर्ट ने 100 रुपये से अधिक के नोट वापसी की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 100 रुपये से अधिक के सभी नोट वापस लेने, 10 हजार रुपये से अधिक के नकद लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए 50,000 रुपये से अधिक की संपत्ति को आधार से जोड़ने का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय


नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 100 रुपये से अधिक के सभी नोट वापस लेने, 10 हजार रुपये से अधिक के नकद लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए 50,000 रुपये से अधिक की संपत्ति को आधार से जोड़ने का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।

अदालत के इनकार के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा, ‘‘विस्तार से बहस करने के बाद, याचिकाकर्ता के वकील ने कानून के तहत उपलब्ध अन्य उपायों का सहारा लेने की स्वतंत्रता के साथ मौजूदा याचिका को वापस लेने का अनुरोध किया। (याचिका) उपरोक्त स्वतंत्रता के साथ वापस ली गई मानकर खारिज की जाती है।’’

वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में हवाई टिकट, रेल टिकट, बिजली बिल, एलपीजी बिल, सीएनजी बिल, नगर पालिका बिल और 10,000 रुपये तथा उससे अधिक के ऐसे अन्य बिल के नकद लेनदेन को प्रतिबंधित करने का अनुरोध किया था।

याचिका में दावा किया गया कि यह भ्रष्टाचार, काला धन, धन शोधन, बेनामी लेनदेन और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर अंकुश लगाने का व्यावहारिक समाधान है।

याचिका में ऑनलाइन शॉपिंग मंचों के माध्यम से खरीदी गई वस्तुओं में नकद लेनदेन को प्रतिबंधित करने का भी अनुरोध किया गया है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘आजादी के 75 साल बाद और एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के 73 साल बाद भी, कोई भी जिला रिश्वतखोरी, काला धन, बेनामी लेनदेन, आय से अधिक संपत्ति और कर चोरी से मुक्त नहीं है।’’










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