शांतिनिकेतन को यूनेस्को की मान्यता पर पट्टिका तैयार करने के लिए समिति का गठन

डीएन ब्यूरो

विश्वभारती विश्वविद्यालय ने सोमवार को कहा कि शांतिनिकेतन को विरासत स्थल के रूप में मिली यूनेस्को की मान्यता के संबंध में पुरानी पट्टिका के स्थान पर नयी बांग्ला पट्टिका को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। पढ़िए डाईनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

शांतिनिकेतन को यूनेस्को की मान्यता
शांतिनिकेतन को यूनेस्को की मान्यता


कोलकाता: विश्वभारती विश्वविद्यालय ने सोमवार को कहा कि शांतिनिकेतन को विरासत स्थल के रूप में मिली यूनेस्को की मान्यता के संबंध में पुरानी पट्टिका के स्थान पर नयी बांग्ला पट्टिका को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति का गठन किया गया है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रवक्ता महुआ बनर्जी ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि समिति नयी पट्टिका के साथ पहले से तैयार हिंदी और अंग्रेजी पाठों को भी देखेगी कि यह केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार है या नहीं।

उन्होंने कहा कि कार्यवाहक कुलपति संजय कुमार मल्लिक को सलाह दी गई है कि शांतिनिकेतन को विरासत स्थल के रूप में मान्यता देने वाले यूनेस्को के बयान के आधिकारिक पाठ को लगाना ‘‘तत्काल प्राथमिकता’’ है और मंत्रालय को आश्वासन दिया गया कि विश्वविद्यालय का, कार्य को अंजाम देने में अनावश्यक देरी का कोई इरादा नहीं है।

बनर्जी ने कहा कि मंत्रालय को सूचित किया गया कि मसौदा बयान की प्राप्ति के तुरंत बाद पट्टिका के पाठ के बांग्ला संस्करण को अंतिम रूप देने और तीनों भाषाओं में बयान की समानता के लिए हिंदी और अंग्रेजी में पाठों को देखने के लिए एक समिति का गठन किया गया है तथा विश्वविद्यालय का अनावश्यक देरी का कोई इरादा नहीं है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शांतिनिकेतन, जहां विश्वभारती स्थित है, को 17 सितंबर को यूनेस्को द्वारा विरासत का दर्जा दिए जाने के मद्देनजर स्थापित की गई तीनों पट्टिकाओं में रवींद्रनाथ टैगोर के नाम का उल्लेख नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तत्कालीन कुलपति विद्युत चक्रवर्ती का नाम था जिससे विवाद शुरू हो गया। प्रधानमंत्री केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं।

विश्वभारती की स्थापना टैगोर ने अपने पसंदीदा स्थान शांतिनिकेतन में की थी। बनर्जी ने बताया कि मल्लिक को हाल में दिल्ली में एक बैठक में आमंत्रित किया गया था, जहां पट्टिका सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्हें नियमित कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लाने और इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर विचार करने की भी सलाह दी गई।










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