Site icon Hindi Dynamite News

आजमगढ़, देवरिया, गोरखपुर होते हुए महराजगंज पहुंचा बौद्ध भिक्षुओं की चारिका, हुआ भव्य स्वागत

मानव कल्याण के लिए कई जनपदों से होते हुए बौद्ध भिक्षुओं का एक जत्था महराजगंज पहुंचा है, जिसका भव्य स्वागत किया गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की ये खबर।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
Published:
आजमगढ़, देवरिया, गोरखपुर होते हुए महराजगंज पहुंचा बौद्ध भिक्षुओं की चारिका, हुआ भव्य स्वागत

महराजगंज: सारनाथ ज्ञानस्थली से पूज्य भंते चंद्रमा महाथेरों के नेतृत्व में 200 बौद्ध भिक्षुओं के साथ धम्मचारीका आजमगढ़, देवरिया और गोरखपुर से होते हुए महराजगंज के आनंदनगर, देवदह, राम ग्राम (बुद्ध के अस्थि अवशेष का आठवां भाग जहां अवस्थित है) से जवाहर लाल नेहरू पीजी कॉलेज में प्रवास करने के लिए रुका।

भिक्षु संघ का स्वागत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर अजय मिश्रा के नेतृत्व में महाविद्यालय के सभी शिक्षक कर्मचारी बंधुओं के साथ-साथ भारतीय बौद्ध महासभा के प्रदेश महासचिव श्रवण पटेल, रामचंद्र बौद्ध, शिवमंगल गौतम, भारती बौद्ध महासभा के जिला अध्यक्ष महेंद्र प्रताप गौतम सहित हजारों की संख्या में उपासक और उपाशिकाओं के द्वारा फूल मालाओं से भिक्षु संघ का स्वागत अभिनंदन एवं वंदन किया गया।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक स्वागत के उपरांत भारतीय बौद्ध महासभा के प्रदेश महासचिव श्रवण पटेल ने भिक्षु संघ को जनपद महराजगंज में आगमन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि जनपद महराजगंज महाराज अंजन की भूमि है। देवदह और राम-ग्राम जनपद महराजगंज को विश्व के पटल पर प्रतिस्थापित करने का काम करेगा और इस निमित्त यह धम्मचारीका जनपद महराजगंज के लिए संजीवनी का काम कर रहा है। जनपद महराजगंज के कण–कण में बुद्धिस्म बसती है। धम्मचारीका अपने उद्देश्यों में पूर्ण रूप से सफल हो रही है।

संग नायक पूज्य भंते ने महाविद्यालय के सभागार में आयोजित देशना के कार्यक्रम में संबोधित करते हुए बिहार और महा बिहार के संदर्भ में विस्तृत प्रकाश डाला। प्राथमिक से माध्यमिक शिक्षा तक की अध्ययन बिहार में हुआ करती थी और उच्च शिक्षा महाविहारों में हुआ करती थी। नालंदा तक्षशिला विश्वविद्यालय उसके उदाहरण आज भी मौजूद हैं।

पूज्य भंते ने जोर देकर कहा कि पूरी दुनिया में भारत का नाम यदि है तो बुद्ध के नाते है। भारतवर्ष विश्व गुरु था तो बुद्ध के नाते था। भारत वर्ष सोने की चिड़िया थी तो बुद्ध के नाते थी। आज आवश्यकता है भारतवर्ष को फिर से विश्व गुरु और सोने की चिड़िया बनाना है तो बुद्ध के दर्शन को बुद्ध के सिद्धांत को जन-जन को अमल करना होगा।

अपनी देशना को आगे बढ़ते हुए पूज्य भंते जी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री विश्व के पटल पर देश की सच्चाई को उजागर करते हुए कहते हैं विश्व को शांति बुद्ध से मिल सकती है युद्ध से नहीं मिल सकती। देश के गौरव को आगे बढ़ते हुए कहते हैं हम बुद्ध की धरती से आए हैं यह गौरव हम भारतवासियों के लिए है।

अंत में अपनी देशना को देते हुए पूज्य भंते ने कहा कि आएं लौट चलें बुद्ध की ओर, आएं लौट चलें संघ की ओर, आएं लौट चलें धम्म की ओर। देशना के कार्यक्रम में महाविद्यालय का सभागार पूर्ण रूप से उपासक और उपाशिकाओं से भरा रहा। सभी लोगों ने बड़े ही ध्यान के साथ भंते जी के देशना को ग्रहण किया।

Exit mobile version