मुंबई हाई कोर्ट ने पंढरपुर मंदिर अधिनियम के खिलाफ स्वामी की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा

बम्बई उच्च न्यायालय ने सोमवार को पंढरपुर मंदिर अधिनियम को चुनौती देने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 21 August 2023, 5:14 PM IST
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मुंबई: बम्बई उच्च न्यायालय ने सोमवार को पंढरपुर मंदिर अधिनियम को चुनौती देने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस साल फरवरी में दायर याचिका में स्वामी ने दावा किया था कि महाराष्ट्र सरकार ने पंढरपुर शहर के मंदिरों का प्रशासन मनमाने तरीके से अपने हाथ में ले लिया है।

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस डॉक्टर की खंडपीठ ने सोमवार को सरकार को अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 13 सितंबर को करना तय किया।

याचिका के अनुसार, राज्य सरकार ने पंढरपुर मंदिर अधिनियम, 1973 के माध्यम से, राज्य के सोलापुर जिले के पंढरपुर में भगवान विट्ठल और रुक्मिणी के मंदिरों के शासन और प्रशासन के लिए पुरोहित और पुजारी वर्ग के सभी वंशानुगत अधिकारों और विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया था।

याचिका में कहा गया है कि कानून ने राज्य सरकार को उसके प्रशासन और धन प्रबंधन को नियंत्रित करने में सक्षम बनाया है। सोमवार को, धर्म रक्षक ट्रस्ट का हिस्सा होने का दावा करने वाले एक अन्य व्यक्ति भीमाचार्य बालाचार्य ने मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। हालांकि, अदालत ने उनके हस्तक्षेप को अनावश्यक पाया और उनकी अर्जी खारिज कर दी।

स्वामी ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि उन्होंने जुलाई 2022 में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर कहा था कि धार्मिक चढ़ावा और रीति-रिवाजों से संबंधित मंदिर के मामलों का 'भारी कुप्रबंधन' किया गया है और इससे हिंदू धार्मिक भावनाओं और आस्तिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

राज्यसभा के पूर्व सदस्य स्वामी ने कहा कि उन्होंने पंढरपुर मंदिर अधिनियम को निरस्त करने के लिए 18 दिसंबर, 2022 को तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी पत्र लिखा था।

जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार पंढरपुर मंदिर पर नियंत्रण करके, हिंदुओं के उनके धर्म को मानने और प्रचार करने और आस्था के मामलों में हिंदू धार्मिक चढ़ावा और उनके मामलों के प्रबंधन के अधिकारों को प्रभावित कर रही है।

याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार जनहित में या उचित प्रबंधन के लिए किसी भी संपत्ति का प्रबंधन सीमित अवधि के लिए अपने हाथ में ले सकती है।

जनहित याचिका में दावा किया गया, ‘‘मौजूदा मामले में, यह स्थायी है और इसलिए यह असंवैधानिक है।’’

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