बिजली सब्सिडी के ‘ऑडिट’ को लेकर भाजपा ने केजरीवाल सरकार को घेरा, इस चीज की मांग
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई ने बिजली कंपनियों को दी गई सब्सिडी का विशेष लेखा परीक्षण (ऑडिट) कराने के आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के आदेश को बुधवार को “दिखावा” करार दिया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई ने बिजली कंपनियों को दी गई सब्सिडी का विशेष लेखा परीक्षण (ऑडिट) कराने के आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के आदेश को बुधवार को “दिखावा” करार दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेव ने बिजली सब्सिडी का ऑडिट नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से कराने की मांग की।
सचदेव ने आरोप लगाया, ‘‘हमें कैग के पैनल में शामिल लेखापरीक्षकों से बिजली सब्सिडी का ऑडिट कराया जाना स्वीकार नहीं है। सरकार और बिजली कंपनियां इस तरह के ऑडिट को आसानी से प्रभावित कर सकते हैं।”
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इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार या बिजली कंपनियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। सचदेव ने पूछा कि क्या कभी ऐसा हुआ है कि किसी निजी लेखा परीक्षक ने ऑडिट रिपोर्ट में अपने मुवक्किल के खिलाफ रिपोर्ट दी है।
दिल्ली सरकार ने मंगलवार को बिजली नियामक ‘डीईआरसी’ को 2016 से 2022 के बीच बिजली कंपनियों को जारी की गई बिजली सब्सिडी का विशेष ऑडिट करने का निर्देश दिया, ताकि किसी भी अनियमितता की पहचान कर पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
विशेष सचिव (ऊर्जा) रवि धवन की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, उपराज्यपाल ने दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) कैग के पैनल में शामिल लेखा परीक्षकों से विशेष ऑडिट कराने का निर्देश दिया है।
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दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने पिछले छह वर्षों में सब्सिडी का कोई ऑडिट करने का प्रयास नहीं किया। हालांकि सरकार ने इस बीच बिजली कंपनियों को 13,549 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
उन्होंने सरकार पर इस मामले में “लेटलतीफी” करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा और दिल्ली की जनता कैग के पैनल में शामिल लेखा परीक्षकों द्वारा किए गए ऑडिट को स्वीकार नहीं करेगी। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि ‘आप’ 2013 से कैग द्वारा निजी बिजली कंपनियों का ऑडिट कराने का वादा कर रही है, लेकिन अब पीछे हट गई है।