Bihar News: बीमार बाघिन को बेहतर इलाज के लिए लाया गया पटना, जानिये कैसे आई बीटीआर की चपेट में

बिहार के वाल्मिकी बाघ अभयारण्य (वीटीआर) की बीमार बाघिन को बेहतर इलाज के लिए पटना चिड़ियाघर लाया गया है और वन विभाग के अधिकारी उसकी जान बचाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Updated : 1 August 2023, 1:57 PM IST
google-preferred

पटना: बिहार के वाल्मिकी बाघ अभयारण्य (वीटीआर) की बीमार बाघिन को बेहतर इलाज के लिए पटना चिड़ियाघर लाया गया है और वन विभाग के अधिकारी उसकी जान बचाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, बीमार बाघिन की उम्र लगभग दस साल है। उसकी विशिष्ट पहचान (यूआईडी) संख्या-8 है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (डीईएफसीसी) के अधिकारी उसे बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान वीटीआर से सोमवार रात पटना चिड़ियाघर ले आए।

बिहार के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन पी के गुप्ता ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “बाघिन (यूआईडी नंबर-8) अब पटना चिड़ियाघर के अधिकारियों और पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम की निरंतर निगरानी में है। हम उसे पटना चिड़ियाघर में सर्वोत्तम इलाज प्रदान कर रहे हैं... बीमार बाघिन को बचाने के प्रयास जारी हैं।’”

गुप्ता ने कहा, “वीटीआर के अधिकारी घायल बाघिन को बिना पिंजड़े में कैद किए उसके प्राकृतिक आवास में चिकित्सा सहायता दे रहे थे, पर हमने उसे बेहतर इलाज के लिए पटना चिड़ियाघर लाने का फैसला किया। आशंका है कि बाघिन के बाएं अंग पर गंभीर चोट आई है, क्योंकि वह ठीक से चल नहीं पा रही है।”

उन्होंने बताया, ‘“बाघिन के घायल बाएं अंग में सूजन है, पर बाहरी चोट या खून के धब्बे का कोई निशान नहीं पाया गया है। ऐसा भी प्रतीत होता है कि बाघिन को अत्यधिक दर्द है और वह कुछ दिनों से भूखी थी, क्योंकि किसी पर हमला करने की स्थिति में नहीं थी। बाघिन का बायां कैनाइन (ऊपर का दांत) भी टूट गया है।”

गुप्ता ने कहा कि बाघिन को पहली बार 28 जुलाई को वीटीआर में पंडई नदी के पास देखा गया था। उन्होंने बताया कि डीईएफसीसी ने बाघिन की स्थिति के बारे में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भी सूचित किया है।

‘प्रोजेक्ट टाइगर’ का संचालन करने वाला सर्वोच्च निकाय एनटीसीए, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जिसे 2006 में संशोधित वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के सक्षम प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया है, ताकि सौंपी गई शक्तियों और कार्यों के अनुसार बाघ संरक्षण के प्रयासों को और भी सशक्त बनाया जा सके।

बिहार के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान वीटीआर में 2018 से 2022 के बीच बाघों की संख्या में 75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

गुप्ता ने कहा, “29 जुलाई 2023 को एनटीसीए और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, वीटीआर में बाघों की संख्या 2018 में 31 थी, जो 2022 में बढ़कर 54 हो गई।”

वीटीआर में बाघों की आबादी में वृद्धि से उत्साहित बिहार सरकार ने विकास की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ‘कैमूर वन्यजीव अभयारण्य’, जो 1,504.96 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, उसे राज्य में एक और बाघ अभयारण्य के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

Published : 
  • 1 August 2023, 1:57 PM IST

Related News

No related posts found.