DN Exclusive: महराजगंज में भारत-नेपाल सीमा के कई गांव बने चावल तस्करी के हब, जानिये कैसे चलता है काले कारोबार का चक्का

डीएन ब्यूरो

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित गांवों और कस्बों में हर दिन सुबह होते ही कई ठिकाने निकटवर्ती नेपाल में चावल की तस्करी के अड्डे बन जाते हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये आखिर कैसे चलता है पूरा काला कारोबार

बॉर्डर से तस्करी चरम पर
बॉर्डर से तस्करी चरम पर


महराजगंज: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित गांवों और कस्बों में हर दिन सुबह होते ही कई ठिकाने निकटवर्ती नेपाल में चावल की तस्करी के अड्डे बन जाते हैं। बेरोजगार युवाओं से लेकर महिलाएं व बुजुर्ग तक, 10 से 100 किलोग्राम चावल से भरे छोटे-बड़े बैग लेकर सीमा पार करते हैं। यह सिलसिला दिन भर जारी रहता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि चावल की तस्करी में शामिल ग्रामीण नेपाल में अनाज ले जाने के लिए साइकिल या मोटरसाइकिल जैसे छोटे वाहनों का इस्तेमाल करते हैं और यहां तक कि पैदल भी चलते हैं। बेरोजगार युवा, महिलाएं और कभी-कभी बुजुर्ग भी स्थानीय तस्करों के लिए वाहक के रूप में काम करते हैं।

नेपाली व्यापारियों द्वारा सीमा पार स्थापित गोदामों में एक क्विंटल चावल पहुंचाने के लिए उन्हें 300 रुपये तक का भुगतान किया जाता है। उनमें से अधिकांश जितना संभव हो, उतना पैसा कमाने के लिए कई चक्कर लगाते हैं।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि लक्ष्‍मीनगर, ठूठीबारी, निचलौल, परसा मलिक, बरगदवा, भगवानपुर, श्याम कट, फरेनिया, हरदी डाली और खनुवा कुछ ऐसे गांव हैं, जहां से नेपाल जाना बहुत आसान है और इसलिए ये चावल की तस्करी के लिए उपयुक्त हैं।

उत्तर प्रदेश का महाराजगंज जिला नेपाल के लुंबिनी प्रांत के नवलपरासी और रूपंदेही जिलों के साथ 84 किलोमीटर लंबी खुली सीमा साझा करता है। चावल ढोने वाले राम प्रसाद ने कहा, 'नेपाली व्यापारियों ने सीमा पर छोटे-छोटे गोदाम बनाए हैं, जहां हम तस्करी का चावल पहुंचाते हैं। गोदामों को हर हफ्ते खाली कर दिया जाता है और वहां इकट्ठा चावल को एक बड़े गोदाम में ले जाया जाता है।'

राम प्रसाद के अनुसार, 'वाहक अधिकांश काम सुबह होते ही करते हैं। चावल पहुंचाने के लिए वे अपने घरों से एक किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं। वे 10 किलो या उससे अधिक वजन वाले चावल के बैग ले जाते हैं। गतिविधि में दूसरा उछाल दोपहर के भोजन के बाद आता है, जब अधिकांश स्थानीय लोग घर के अंदर होते हैं और दोपहर की शांति का आनंद लेते हैं।'

उन्होंने बताया, 'कुछ वाहक शाम को सूरज ढलने के बाद भी चावल की बोरियां ले जाते हैं। वे रात में शायद ही कभी चलते हैं, क्योंकि उस समय पकड़े जाने का जोखिम सबसे अधिक होता है।'

अधिकारियों के मुताबिक, पिछले चार महीनों में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और पुलिस ने नेपाल में तस्करी कर ले जाया जा रहा 111.2 टन से अधिक चावल जब्त किया है। उन्होंने बताया कि चावल की तस्करी में शामिल अधिकतर लोग बेरोजगार हैं और वे स्थानीय तस्करों से चावल लेकर नेपाल जाते हैं।

पुलिस सूत्रों ने कहा कि चावल की तस्करी रोकने के लिए अधिकारियों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, लाभ का बड़ा अंतर अवैध गतिविधि को बढ़ावा दे रहा है।

स्थानीय चावल व्यापारियों के अनुसार, भारत सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और आगामी त्योहारी सीजन के दौरान खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए जुलाई में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद नेपाल में चावल की कीमत पिछले कुछ महीनों में बढ़ गई है।

नेपाल से उत्तर प्रदेश के सात जिलों-महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर-खीरी और पीलीभीत की सीमा लगती है। कुछ गिनी-चुनी जांच चौकी को छोड़ दें, तो ज्यादातर सीमा खुली है और दोनों देशों के लोगों की बेरोक-टोक आवाजाही है।

स्थानीय चावल व्यापारी सूरज जयसवाल, जो प्रतिबंध से पहले नेपाल को चावल निर्यात करते थे, ने दावा किया, 'निर्यात प्रतिबंध के बाद नेपाल में चावल की कीमत बढ़ गई है। जो चावल भारत में 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जाता है, वह नेपाल में 70 रुपये प्रति किलोग्राम तक की कीमत पर बिक रहा है।'

जायसवाल ने कहा, 'तस्कर नेपाल में एक क्विंटल चावल ले जाने के लिए इन वाहकों को 300 रुपये तक का भुगतान करते हैं। बाकी मुनाफा तस्करों की जेब में जाता है। अधिक पैसा कमाने के लिए वाहक नेपाल के जितने संभव हो, उतने चक्कर लगाते हैं।'

स्थानीय व्यापारियों का दावा है कि बड़े पैमाने पर चावल की तस्करी के कारण पिछले कुछ महीनों में यहां चावल की कीमतें भी बढ़ी हैं।

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के पदाधिकारी रतन लाल वैश्य ने कहा, ''चावल की तस्करी बढ़ने से इसकी कीमतें बढ़ी हैं। जुलाई से पहले मोटा चावल 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर मिलता था, लेकिन अब यह 30 से 35 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है।''

मूल्य वृद्धि ने जिला अधिकारियों को तस्करी के संचालन को रोकने के प्रयासों को तेज करने के लिए मजबूर कर दिया है। महराजगंज के जिलाधिकारी अनुनय झा ने चावल तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए नेपाल सीमा से लगी नौतनवा और निचलौल तहसील में छह सदस्यीय दो टीमें तैनात की हैं। इन टीमों का गठन तीन अक्टूबर को किया गया था और इन्हें आगे की कार्रवाई के लिए तस्करी पर दैनिक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

झा ने कहा, 'सीमावर्ती क्षेत्रों में तस्करी पर लगाम लगाने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। हम अभियान में एसएसबी अधिकारियों के साथ भी समन्वय कर रहे हैं।'

आठ अक्टूबर को महराजगंज के पुलिस अधीक्षक कौस्तुभ ने परसा मलिक थाना क्षेत्र के सेवतरी पुलिस चौकी प्रभारी समेत छह पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया था। यह कार्रवाई सीमा के करीब स्थित पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले इलाके से उनके चावल की तस्करी रोकने में नाकाम रहने के मद्देनजर की गई थी।










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