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सावन स्पेशल: बलरामपुर का दुःखहरण नाथ मंदिर..जहां भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं भोलेनाथ

उतरौला कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रों में सावन के पहले सोमवार को भगवान भोले औघड़ दानी शिवजी की आराधना के लिये शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर में मौजूद प्राचीनतम एवं अद्भुत शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से हर भगवान शिव भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। पूरी खबर..
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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सावन स्पेशल: बलरामपुर का दुःखहरण नाथ मंदिर..जहां भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं भोलेनाथ

बलरामपुर: उतरौला कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रों में सावन के पहले सोमवार को भगवान भोले औघड़ दानी शिवजी की आराधना के लिये शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। प्रातः काल से ही शिवालयों में महिलाओं, पुरुषों व बच्चों का तांता भगवान शिव के दर्शन व जलाभिषेक करने के लिए लगने लगा। शिव भक्तों ने मंदिरों में दूध, गंगाजल, दही घी, शक्कर आदि सामग्रियों से भगवान शिव का जलाभिषेक किया और मन्नते मांगी। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मौजूद प्राचीनतम एवं अद्भुत शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से हर भगवान शिव भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।

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सावन के दिनों में प्रातः काल से ही महिलाओं पुरुषों और बच्चों के द्वारा शिवालय में स्थित अद्भुत शिवलिंग की पूजा आराधना शुरू हो जाती है। भक्तिमयी संगीत से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए प्रातः काल से ही शिवभक्त लाइनों में लग गए और कई घंटों के इंतजार के बाद जलाभिषेक करने का अवसर प्राप्त होता है।

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दुःखहरण नाथ मंदिर का इतिहास

उतरौला कस्बे के दुःख हरण नाथ मन्दिर में स्थित ऐतिहासिक एवम प्राचीनतम शिवलिंग की पूजा आराधना सावन के पहले ही दिन से ही शुरू हो गई। कस्बे के उत्तरी पश्चमी छोर पर स्थित दुखहरणनाथ मन्दिर में स्थित शिवालय साठ अंश तिरछा है, जो कि बीच में कटा है। इस श्रद्धा, आस्था एवम विश्वास के शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि प्राचीन काल मे दुखहरणनाथ मन्दिर एक टीले के रूप में थे। तत्कालीन राजा ने टीले की खुदाई करके समतल कराना चाहा। परन्तु खुदाई के दौरान मजदूरों को एक शिवलिंग दिखाई दिया। राजा ने उस शिवलिंग की खुदाई करवाने के लिये शिवलिंग में रस्सी बन्धवा कर हाथियों से खिचवाया फिर भी शिवलिंग उखड़ा नही बल्की टेढ़ा हो गया।

 

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इसके बाद भी राजा नही माने और शिवलिंग को लकड़ी काटने वाले बड़े आरे से शिवलिंग को कटवाने लगे। इसी दौरान शिवलिंग से खून बहने लगा । जिसको देखकर मजदूरों ने शिवलिंग को आरे से काटना बंद कर दिया।आज भी दुखहरण नाथ मंदिर के शिवालय में स्थित शिवलिंग पर आरे का निशान प्रत्यक्ष रुप से दिखाई पड़ता है। जब इस घटना की जानकारी राजा को हुई तो उन्होंने वहां एक मंदिर का निर्माण करवा दिया। ऐसा शिवलिंग उत्तर प्रदेश के किसी भी शिवालय में देखने को नहीं मिलेगा।

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पूजा अर्चना से होती है मन्नते पूरी

मान्यता है की दुखहरण नाथ मंदिर आस्था के साथ पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाये पूरी हो जाती है। जिस कारण से जिले के साथ साथ आस पास के जिलो से भी लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते है। नागपंचमी व कजरी तीज के अक्सर पर  शिव भक्तों की भारी भीड़ यहाँ भगवान शिव के दर्शन व जलाभिषेक के लिए उमड़ती है।

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