UP Cabinet Meeting: यूपी के 100 सबसे पिछड़े नगरीय निकायों में लागू होगी आकांक्षी नगर योजना, जानिये इसके मायने
उत्तर प्रदेश के मंत्रिपरिषद ने 20 हजार से एक लाख जनसंख्या वाले सबसे पिछड़े 100 नगरीय निकायों में आकांक्षी नगर योजना लागू करने के प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मंत्रिपरिषद ने 20 हजार से एक लाख जनसंख्या वाले सबसे पिछड़े 100 नगरीय निकायों में आकांक्षी नगर योजना लागू करने के प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी।
यहां लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को संपन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली। बैठक के बाद नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने पत्रकारों को यह जानकारी दी।
बाद में जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि 20 हजार से एक लाख जनसंख्या वाले सबसे पिछड़े 100 नगरीय निकायों में आकांक्षी नगर योजना को लागू किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई है।
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बयान के मुताबिक, इसके अंतर्गत इन नगरीय निकायों में वर्तमान में जारी सरकारी योजनाओं के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार, सांसद व विधायक निधि समेत अन्य संस्थाओं से सहयोग प्राप्त कर परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जाएगा।
उसमें कहा गया है कि योजना के तहत 762 नगरीय निकायों में से 100 आकांक्षी नगरीय निकायों का चयन नीति आयोग द्वारा 16 मानकों के आधार पर किया जाएगा और इनमें यह योजना 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगी, लेकिन इसकी निगरानी डैशबोर्ड के माध्यम से 31 मार्च 2028 तक चलेगी।
बयान में कहा गया कि इस योजना के जरिए संसाधनों का आदर्श प्रयोग होगा और आर्थिक विकास के अवसरों को बढ़ाकर पलायन रोकने में मदद मिलेगी।
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बयान में यह भी कहा गया कि मंत्रिपरिषद ने सहारनपुर, अयोध्या और फिरोजाबाद में वातानुकूलक इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से संबंधित प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
उसमें कहा गया है कि इन शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन, प्रबंधन एवं अनुरक्षण के लिए कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत संबंधित मंडल के आयुक्त की अध्यक्षता में नए एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) के गठन का निर्णय लिया गया है।
बयान के मुताबिक, “एसपीवी को नगरों में बसें चलाने के लिए मार्ग निर्धारित करने का अधिकार होगा। साथ ही मार्गों पर किराए के निर्धारण के साथ ही यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं के संबंध में विचार विमर्श करने का भी अधिकार होगा।