Mumbai: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रचते हुए पहली बार महिला वनडे विश्व कप का खिताब जीत लिया। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में टीम इंडिया ने डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से मात दी और विश्व चैंपियन बन गई। इस जीत के पीछे न केवल खिलाड़ियों की मेहनत, बल्कि त्याग और भावनाओं की एक गहराई भरी कहानी भी छिपी थी- ऑलराउंडर अमनजोत कौर की कहानी। जिसके परिवार ने उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सच उससे छिपा लिया, जिससे उसका ध्यान सिर्फ खेल पर बना रहे।
दादी को आया दिल का दौरा, लेकिन परिवार ने छिपाई सच्चाई
अमनजोत के पिता भूपिंदर सिंह, जो पेशे से बढ़ई और ठेकेदार हैं, अपनी 75 वर्षीय मां भगवंती कौर को पिछले हफ्ते दिल का दौरा पड़ने पर अस्पताल ले गए। लेकिन उन्होंने यह बात अपनी बेटी से छुपाई। वजह थी- वर्ल्ड कप का फाइनल मैच। भूपिंदर ने बताया कि अमनजोत को कुछ अंदेशा हुआ था। उसने अपनी बहन से बात की, लेकिन जब जवाब मिला कि दादी गुरुद्वारे में हैं तो उसने पिता को फोन किया और कहा, “बीजी से वीडियो कॉल कराओ।” काफी जोर देने पर भगवंती ने उसे बस इतना कहा, “ऑल द बेस्ट बेटा।”
यूपी सरकार का बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 15 संयुक्त सचिव अफसरों के तबादले, देखें पूरी लिस्ट
भूपिंदर कहते हैं, “मैंने उसे बताया कि बीजी की तबीयत थोड़ी कमजोर है, लेकिन सच नहीं बताया। हम चाहते थे कि उसका ध्यान सिर्फ मैच पर रहे। फाइनल के बाद ही हमने सच्चाई बताई।” उस “ऑल द बेस्ट” ने मानो अमनजोत की जिंदगी बदल दी- उसी आशीर्वाद ने उसे वर्ल्ड चैंपियन बना दिया।
“वो मेरी पोती नहीं, मेरे पोते से भी बढ़कर है”
दिल का दौरा झेल चुकी भगवंती कौर अब भी अपनी पोती पर गर्व महसूस करती हैं। वे कहती हैं, “वो मेरी पोती नहीं, मेरे पोते से भी बढ़कर है।” जब अमनजोत छोटी थी और मोहल्ले के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी, तो दादी हमेशा पार्क में कुर्सी लेकर बैठ जाती थी, जिससे कोई उसे परेशान न करे।
BCCI की चेतावनी का खौफ या ट्रॉफी चोरी की शर्म… ICC की मीटिंग से क्यों नदारद रहेंगे मोहसिन नकवी?
पिता भूपिंदर बताते हैं, “जब मैं दुकान पर होता था, मां हमेशा उसके साथ रहती थी। वही उसकी सबसे बड़ी ताकत हैं। अब जब मां अस्पताल में हैं, तो यह जीत हमारे लिए तनाव के बीच सुकून लेकर आई है।”
स्केटिंग और हॉकी से क्रिकेट तक का सफर
अमनजोत ने अपने खेल करियर की शुरुआत स्केटिंग और हॉकी से की थी, लेकिन बाद में क्रिकेट को चुना। पड़ोसी की सलाह पर भूपिंदर ने उसकी ट्रेनिंग शुरू कराई। कोच नागेश गुप्ता ने उसे अपनी शागिर्द बनाया। भूपिंदर याद करते हैं, “मैं रोज काम के बाद अतिरिक्त काम करता था, जिससे उसकी ट्रेनिंग का खर्च उठा सकूं। जब उसे स्कूटी मिली तो वो बोली- ‘पापा, अब चिंता मत करो, मैं खुद संभाल लूंगी।’”
कोच नागेश गुप्ता बताते हैं, “जब मैंने पहली बार उसे गेंदबाजी करते देखा तो रन-अप और रिस्ट पोजिशन बेहतरीन थी। बाद में जब उसे बल्लेबाजी करते देखा तो समझ गया कि वो एक दिन ऑलराउंडर बनेगी।”
चोटों से उभरकर रचा इतिहास
2023 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी20 डेब्यू करने वाली अमनजोत ने उस मैच में ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ का खिताब जीता था। इसके बाद वह मुंबई इंडियंस से डब्ल्यूपीएल में जुड़ीं। लेकिन अगले ही साल उन्हें पीठ और हाथ की चोटों ने मैदान से आठ महीने दूर रखा। कोच गुप्ता कहते हैं, “वो मानसिक रूप से बेहद मजबूत रही और वापसी शानदार की।”
इस विश्व कप में अमनजोत ने श्रीलंका के खिलाफ संकट की घड़ी में अर्धशतक लगाया और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया की शतकवीर फीबी लिचफील्ड का अहम विकेट लिया। फाइनल में उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी कप्तान एल वोल्वार्ट का महत्वपूर्ण कैच पकड़कर भारत की जीत पक्की की।
फाइनल के वक्त उनका परिवार अस्पताल में दादी की देखभाल कर रहा था। भूपिंदर भावुक होकर कहते हैं, “अगर मां ठीक होतीं, तो वो गुरुद्वारे जाकर कराह प्रसाद बनवातीं और भगवान का धन्यवाद करतीं। यह सिर्फ भारत की नहीं, एक बेटी और उसके परिवार की जीत है, जिसने प्यार से झूठ बोला ताकि उसका सपना पूरा हो सके।”

