राजनीति में योगदान की कोई उम्र नहीं: उमाभारती का नया बयान, सेवानिवृत्ति की उम्र पर बेबाक विचार

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती ने एक साक्षात्कार में सेवानिवृत्ति की उम्र पर अपनी राय दी और चुनाव लड़ने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि राजनीति में योगदान देने की कोई उम्र नहीं होती और अगर वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार महसूस करती हैं, तो तभी वह चुनाव में उतरेंगी।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 30 August 2025, 1:53 PM IST
google-preferred

Bhopal: मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती एक बार फिर से अपनी बेबाक राय और बयानों से सबको चौंका दिया है। एक हालिया साक्षात्कार के दौरान, उन्होंने सेवानिवृत्ति की उम्र पर चल रही बहस पर अपने विचार व्यक्त किए और चुनावी राजनीति में अपने संभावित लौटने का संकेत भी दिया। उमाभारती का कहना था कि उनकी उम्र अभी 65 वर्ष से कम है और जब वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार महसूस करेंगी, तब ही वे मैदान में उतरेंगी।

राजनीति में योगदान का कोई उम्र नहीं

उमाभारती ने साक्षात्कार में इस बात पर जोर दिया कि राजनीति में योगदान देने की उम्र निर्धारित नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, "कोई भी संगठन, पार्टी या संस्था अपनी सेवानिवृत्ति की आयु तय कर सकती है, लेकिन राजनीति में योगदान देने की उम्र कभी भी निश्चित नहीं होती। राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है, जहां व्यक्ति की क्षमता और प्रतिबद्धता ही उसकी असली पहचान बनती है।" उनका यह बयान इस संदर्भ में महत्वपूर्ण था क्योंकि वर्तमान समय में कई राजनीतिक और सरकारी संस्थाओं में सेवानिवृत्ति की उम्र को लेकर बहस चल रही है, और कई नेताओं को यह सवाल उठाने का मौका मिलता है कि क्या वे अब राजनीति में सक्रिय रह सकते हैं या नहीं।

Madhya Pradesh: उमा भारती का आया बड़ा बयान, कांग्रेस और वाम दलों कोअयोध्या जाकर ‘प्रायश्चित’ करना चाहिए

जब महसूस होगा तैयार, तभी लड़ा जाएगा चुनाव

उमाभारती ने स्पष्ट किया कि चुनाव लड़ने के मामले में उनकी प्राथमिकता उनकी अपनी प्रतिबद्धता और ईमानदारी है। उन्होंने कहा, "चुनाव लड़ना इस समय मेरे लिए एक बाधा है, क्योंकि यदि मैं चुनाव लड़ती हूं, तो मुझे जनता की समस्याओं का समाधान करने और उनकी सेवा करने की जिम्मेदारी उठानी होगी। यह कार्य मेरे वर्तमान समर्पण से टकराएगा।" उमाभारती का मानना है कि अगर वे चुनाव लड़ती हैं, तो यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह पूरी निष्ठा से जनता की सेवा करें। यदि चुनाव जीतने के बाद वे अपना पूरा समय और ध्यान जनता की समस्याओं पर नहीं लगा सकीं, तो यह उनके लिए असंतोष का कारण होगा।

मंत्री पद और जिम्मेदारी

उमाभारती ने मंत्री पद की जिम्मेदारी पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि मंत्री बनना केवल एक पद नहीं होता, बल्कि यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। "मंत्री बनना एक अलग प्रकार की जिम्मेदारी होती है। इससे आपकी प्रतिबद्धता और कार्यक्षमता का परीक्षण होता है," उन्होंने कहा। उनका यह विचार स्पष्ट करता है कि उमाभारती राजनीति में केवल दिखावा नहीं करना चाहतीं, बल्कि वह अपने कार्य में गंभीर और जिम्मेदार बनकर ही सक्रिय रहना चाहती हैं।

महिलाओं के लिए आरक्षण में ओबीसी कोटा नहीं होने से निराश हूं : उमा भारती

सत्ता के लिए कोई वस्तु की आवश्यकता नहीं

उमाभारती ने सत्ता के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "मुझे सत्ता प्राप्त करने के लिए किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है। सत्ता के लिए मुझे किसी चीज की कमी नहीं है, क्योंकि जनता ने मुझे हिम्मत दी है। जनता की शक्ति ही मेरी असली ताकत है।" यह बयान उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को चुनौती है जो सत्ता पाने के लिए धन और अन्य बाहरी साधनों का उपयोग करते हैं। उमाभारती ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सत्ता का सुख नहीं, बल्कि जनता की सेवा करना है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर चुनाव लड़ने से यह उद्देश्य पूरा होता है, तो वह चुनाव लड़ने में संकोच नहीं करेंगी, लेकिन यदि यह उनका लक्ष्य पूरा नहीं करता, तो वह चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी।

Location : 
  • Bhopal

Published : 
  • 30 August 2025, 1:53 PM IST

Related News

No related posts found.