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यूपी सरकार में कैबिनेट विस्तार: सपा से निष्कासित नेताओं को बीजेपी में मिल सकती जगह! जातीय समीकरण को साधने की योजना

यूपी सरकार में कैबिनेट विस्तार की चर्चा तेज़ हो गई है, खासकर जब सपा ने अपने चार बागी विधायकों को पार्टी से निष्कासित किया। इसमें प्रमुख नाम पूजा पाल का है, जिन्होंने हाल ही में बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था और अब बीजेपी में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। अगर वह पार्टी में शामिल होती हैं तो उन्हें मंत्री पद मिल सकता है।
Post Published By: Asmita Patel
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यूपी सरकार में कैबिनेट विस्तार: सपा से निष्कासित नेताओं को बीजेपी में मिल सकती जगह! जातीय समीकरण को साधने की योजना

Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चा जोरों पर है, खासकर तब जब समाजवादी पार्टी (सपा) ने हाल ही में अपने चार बागी विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। ये घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आ रहा है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार न केवल अपनी कार्यशैली को बढ़ावा दे रही है, बल्कि आगामी चुनावों के लिए राजनीतिक समीकरणों को भी ध्यान में रखकर रणनीति बना रही है। इसी कड़ी में, सपा से निष्कासित विधायक पूजा पाल का नाम चर्चा में है। जिनके बीजेपी में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा होता है तो उन्हें यूपी सरकार के कैबिनेट में महत्वपूर्ण पद दिया जा सकता है।

सपा से बागी विधायक पूजा पाल

सपा द्वारा अपने चार विधायकों को निष्कासित किए जाने के बाद यह माना जा रहा है कि पूजा पाल का बीजेपी में शामिल होना तय हो सकता है। यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाता है जब पूजा पाल ने 2024 के राज्यसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में मतदान किया था। उस वक्त से यह अटकलें लग रही थीं कि उनका रुझान बीजेपी की ओर हो सकता है। हाल ही में, पूजा पाल ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी, जिससे उनके बीजेपी में शामिल होने की संभावना और भी प्रबल हो गई है।

कैबिनेट विस्तार के पीछे क्या है रणनीति?

अगर पूजा पाल बीजेपी में शामिल होती हैं, तो पार्टी के लिए यह कदम खासतौर पर यूपी में पाल जाति के वोटबैंक को साधने में मददगार हो सकता है। यूपी में पाल जाति की संख्या करीब 7% के आसपास मानी जाती है, और पूजा पाल इस जाति से आती हैं। इसलिए बीजेपी के लिए यह एक रणनीतिक कदम हो सकता है, ताकि इस जातीय समीकरण को अपने पक्ष में किया जा सके। इसके अलावा, पूजा पाल की सपा से नाराजगी भी इस निर्णय में अहम भूमिका निभा सकती है। माना जा रहा है कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से अपनी असहमति के कारण सपा छोड़ने का कदम उठाया।

नवरात्रि के आस-पास कैबिनेट विस्तार का समय क्यों?

सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार का कैबिनेट विस्तार नवरात्रि के पहले किया जा सकता है, क्योंकि नवरात्रि हिंदू धर्म में एक बहुत ही शुभ समय माना जाता है। इससे पहले किसी भी शुभ अवसर पर विस्तार करना राजनीतिक दृष्टि से ठीक नहीं माना जाता है, इसलिए यह समय उपयुक्त हो सकता है। इसके अलावा, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नवरात्रि के समय में कैबिनेट विस्तार से सत्ताधारी पार्टी को चुनावी लाभ भी मिल सकता है।

क्या बीजेपी और सपा में नई सियासी जंग शुरू हो सकती है?

पूजा पाल के बीजेपी में शामिल होने की चर्चाओं के बीच सपा के भीतर एक नई सियासी जंग की संभावना भी जताई जा रही है। सपा के चार बागी विधायकों के निष्कासन से पार्टी की अंदरूनी दरारें खुलकर सामने आई हैं। पूजा पाल के अलावा, सपा के तीन और विधायक मनोज पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय प्रताप सिंह को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। इन तीनों विधायकों के बारे में भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी इन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर सकती है और इन्हें बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।

बीजेपी में नए चेहरों का स्वागत

सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट विस्तार के दौरान कुछ नए चेहरों को भी जगह दी जा सकती है। साथ ही, बीजेपी में कुछ वरिष्ठ नेताओं को भी महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी मिल सकती है। खासकर लोक निर्माण विभाग (PWD) को लेकर चर्चा हो रही है। जितिन प्रसाद के लोकसभा चुनाव में जीतने और केंद्र में मंत्री बनने के बाद से यह विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास था। अब यह देखा जाएगा कि क्या इस विभाग का दायित्व किसी और वरिष्ठ नेता को सौंपा जाएगा, ताकि पार्टी के भीतर सामूहिक नेतृत्व का सशक्त रूप दिख सके।

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