Viral On Social Media: सामने आई चिरंजीवी की बच्ची वाली तस्वीर की सच्चाई, जानिए क्या है पूरा मामला

हाल ही में दक्षिण भारतीय सिनेमा के मेगास्टार चिरंजीवी की एक तस्वीर को लेकर एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने इंटरनेट पर भ्रम फैलाया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Jaya Pandey
Updated : 19 May 2025, 5:52 PM IST
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हैदराबाद: सोशल मीडिया के इस दौर में जहां सूचनाएं पलक झपकते ही लाखों लोगों तक पहुँच जाती हैं। वहीं, आधी-अधूरी सच्चाई या पूरी तरह गलत जानकारी भी उतनी ही तेजी से फैलती है। ऐसा ही एक मामला हाल ही में दक्षिण भारतीय सिनेमा के मेगास्टार चिरंजीवी की एक तस्वीर को लेकर सामने आया है, जिसने इंटरनेट पर काफी भ्रम फैलाया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, तस्वीर में चिरंजीवी को एक छोटी बच्ची को गोद में लिए प्यार से पकड़े हुए देखा गया। इस तस्वीर को कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह दावा करते हुए साझा किया गया कि यह बच्ची कोई और नहीं, बल्कि उनके बेटे और ग्लोबल स्टार राम चरण और बहू उपासना कोनिडेला की बेटी क्लिन कारा है। पोस्ट को लाखों लोगों ने देखा और शेयर किया, लेकिन इस दावे की सच्चाई कुछ और ही निकली।

तस्वीर में दिख रही बच्ची कौन है ?

वायरल तस्वीर में दिख रही बच्ची चिरंजीवी की पोती तो है, लेकिन वह राम चरण की बेटी नहीं है। वह उनकी सबसे छोटी बेटी श्रीजा कोनिडेला की बेटी नविष्का कोनिडेला है। यह तस्वीर मूल रूप से 2021 में चिरंजीवी के जन्मदिन के मौके पर ली गई थी और तब परिवार के सदस्यों द्वारा निजी रूप से साझा की गई थी।

मनगढ़ंत कहानी के साथ प्रसारित

अब, इस पुरानी तस्वीर को फिर से एक नई और पूरी तरह मनगढ़ंत कहानी के साथ प्रसारित किया गया है, जिससे सोशल मीडिया यूज़र्स भ्रमित हो गए। कई लोगों ने बिना तथ्य जांचे पोस्ट को शेयर कर दिया, जिससे गलत जानकारी और तेजी से फैल गई।

सोशल मीडिया पर फोटो वायरल

यह घटना एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सूचनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को किसी भी जानकारी को साझा करने से पहले उसकी पुष्टि करनी चाहिए।

सामाजिक भ्रम भी होता है उत्पन्न

खासतौर पर सार्वजनिक हस्तियों से जुड़ी खबरों के मामले में जिम्मेदारीपूर्वक व्यवहार करना आवश्यक है, क्योंकि इनसे न केवल व्यक्तिगत छवि प्रभावित होती है, बल्कि सामाजिक भ्रम भी उत्पन्न हो सकता है। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि डिजिटल युग में एक तस्वीर हजारों शब्द तो कह सकती है, लेकिन अगर उसके साथ तथ्य न हों, तो वह सच्चाई से भटकाने का साधन भी बन सकती है।

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