

यदि मन ने कुछ करने का ठान लिया तो उसके मार्ग में कई बाधाएं भी स्वतं ही पार हो जाती है। ऐसे ही एक मिसाल उत्तराखंड में शिक्षा विभाग से रिटायर हुए प्रधानाचार्य ने अपने क्षेत्र के लोगों को दी है।
रिटायरमैंट के बाद खेतीबाड़ी में किया चमत्कार
Bageshwar: यदि मन में कुछ करने की इच्छा हो तो कुछ भी असंभव नहीं। इसे सच कर दिखाया है बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील स्थित शामा गाँव के सेवानिवृत्त शिक्षक भवान सिंह कोरंगा ने। लोग उन्हें आज "कीवी मैन" के नाम से जानते हैं।
जानकारी के अनुसार साल वह 2009 में एक सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए। पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने गाँव में सबसे पहले कीवी की खेती शुरू की। पहले ही वर्ष अच्छी पैदावार मिलने से उनका उत्साह बढ़ा और वे लगातार इस दिशा में आगे बढ़ते गए। आज कीवी की खेती से उनकी वार्षिक आय 15 लाख रुपये से अधिक हो चुकी है।
कीवी की बंपर पैदावर
उनके इस नवाचार और सफलता को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट मिलियनेयर फार्मर अवार्ड 2023 से सम्मानित किया। उनकी इस उपलब्धि से क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों में भी उत्साह का संचार हुआ है।
कीवी की पैकिंग करते रिटायर शिक्षक भवान सिंह कोरंगा के सदस्य
उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, पंतनगर के वैज्ञानिकों ने नैनीताल और उत्तरकाशी के साथ शामा गाँव को भी टिश्यू तकनीक से कीवी उत्पादन के लिए शोध हेतु चुना था। इस तकनीक के प्रयोग से शामा गाँव आज राज्य के प्रमुख कीवी उत्पादक गाँवों में शामिल हो चुका है।
उन्होंने बताया कि किसान परिवार से होने के नाते, उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान ही तय कर लिया था कि वह रिटायरमेंट के बाद खेती करेंगे। लेकिन, खेती में भी वह कुछ अलग करना चाहते थे। हमेशा से ही बागवानी के शौकीन रहे भवान सिंह को 2004-05 में, उत्तराखंड के कुछ किसानों के साथ हिमाचल प्रदेश में, कीवी उगाने वाले किसानों से मिलने का मौका मिला।
उन्होंने कीवी की खेती (kiwi farming) के बारे में सभी जानकारियां जुटाई। हिमाचल प्रदेश से वापस आते हुए, वह कीवी के तीन-चार पौधे अपने साथ ले आये। तीन-चार सालों में ये कीवी के पौधे तैयार हो गए और इन पर फल भी लगने लगे।
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इस सफलता के बाद, भवान सिंह ने कीवी की खेती (kiwi farming) में आगे बढ़ने का फैसला किया। साल 2008 में, उन्होंने हिमाचल से कीवी के कुछ और पौधे लाकर अपने खेतों में लगा दिए। रिटायरमेंट के बाद, वह अपना पूरा समय कीवी की खेती (Kiwi farming) में देने लगे।
उन्होंने बताया कि उन्होंने पिछले साल आठ हजार कीवी के पौधे तैयार किए थे, जिससे उन्हें लगभग दस लाख रुपए की कमाई हुई। इसलिए, वह किसानों से अनुरोध करते हैं कि शुरुआत में चाहे दो-चार ही सही, लेकिन अपने खेतों पर कीवी जैसे फलों के पेड़-पौधे अवश्य लगाएं। इससे उनकी आय दुगुनी होने में मदद मिलेगी। यक़ीनन, भवान सिंह हम सबके लिए एक प्रेरणा हैं।