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दिल्लीवालों की बढ़ी मुश्किलें: यमुना का जलस्तर खतरे के करीब, बाढ़ की आशंका

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बुधवार को खतरे के निशान के करीब पहुंच गया, जिससे शहर में बाढ़ की स्थिति बन सकती है। हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी और पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश के चलते प्रशासन अलर्ट मोड पर है। निचले इलाकों में जलभराव की आशंका को देखते हुए सुरक्षा उपायों की तैयारी तेज कर दी गई है।
Post Published By: Asmita Patel
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दिल्लीवालों की बढ़ी मुश्किलें: यमुना का जलस्तर खतरे के करीब, बाढ़ की आशंका

Delhi News: राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बुधवार को खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है, जिससे बाढ़ की आशंका गंभीर हो गई है। बुधवार शाम 4 बजे तक यमुना का जलस्तर 204.13 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जबकि खतरे का निशान 205.33 मीटर है। हालांकि शाम 7 बजे के बाद जलस्तर में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन प्रशासन सतर्क बना हुआ है क्योंकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में लगातार बारिश जारी है, जिससे नदी में पानी की मात्रा फिर बढ़ सकती है।

हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी बना चिंता का कारण

सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग की जानकारी के अनुसार, मंगलवार को हरियाणा स्थित हथिनीकुंड बैराज से करीब 25,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो बुधवार को दिल्ली पहुंच चुका है। इसके अलावा बुधवार शाम को 50,000 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है, जो अगले 24 घंटे में दिल्ली पहुंचेगा। इससे यमुना का जलस्तर और अधिक बढ़ सकता है।

प्रशासन ने बढ़ाई सतर्कता

बाढ़ की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों को अलर्ट कर दिया है। निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। यदि जलस्तर खतरे के निशान को पार करता है तो सबसे पहले हाथी घाट, एमनेस्टी मार्केट, मजनूं का टीला, यमुना विहार, सोनिया विहार और यमुना खादर जैसे इलाकों में जलभराव की स्थिति बन सकती है। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि बैराज से एक लाख क्यूसेक या उससे अधिक पानी छोड़ा जाता है तो चेतावनी जारी कर दी जाएगी। वहीं, तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने की स्थिति में निचले इलाकों में नावें तैनात की जाएंगी और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाएगा।

पिछले वर्ष की बाढ़ का डर फिर सताया

गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी जुलाई के महीने में यमुना नदी में जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया था, जो अब तक का रिकॉर्ड है। उस दौरान कई निचले इलाके जलमग्न हो गए थे और हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी थी। इस बार भी ऐसी ही स्थिति न बने, इसके लिए प्रशासन पहले से ही अलर्ट पर है।

स्थानीय लोगों में चिंता

नदी किनारे बसे इलाकों में रहने वाले लोग इस स्थिति से चिंतित हैं। स्थानीय निवासी प्रशासन से समय रहते राहत एवं बचाव कार्य सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं। कई जगहों पर लोगों ने अस्थायी रूप से अपना सामान ऊंचे स्थानों पर शिफ्ट करना शुरू कर दिया है।

निगरानी और अलर्ट सिस्टम सक्रिय

डीएम ऑफिस और सिंचाई विभाग द्वारा जलस्तर पर नजर रखने के लिए 24×7 निगरानी केंद्र बनाए गए हैं। साथ ही, बाढ़ संभावित क्षेत्रों में ड्रोन और वॉच टावर के माध्यम से निगरानी की जा रही है। सभी राहत कैंपों को तैयार रखा गया है और स्वास्थ्य, जल आपूर्ति, बिजली तथा अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं।

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