World Population Day 2025: जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस, कब से हुई इसकी शुरुआत

विश्व जनसंख्या दिवस 2025 पर दुनियाभर में जनसंख्या से जुड़े मुद्दों को लेकर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। यह दिन हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक जनसंख्या वृद्धि, संसाधनों पर दबाव और सतत विकास पर चर्चा करना है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 11 July 2025, 7:43 AM IST
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New Delhi: आज, 11 जुलाई 2025 को विश्व जनसंख्या दिवस दुनियाभर में मनाया जा रहा है। यह दिन मानव समाज के सामने खड़े सबसे जटिल मुद्दों में से एक तेजी से बढ़ती जनसंख्या – पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करने के लिए समर्पित है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्तमान में दुनिया की आबादी 8.1 अरब (2025) के पार पहुंच चुकी है और अनुमान है कि यह आंकड़ा 2050 तक 9.7 अरब और 2080 के दशक में 10.4 अरब तक पहुंच सकता है। यह बढ़ती आबादी संसाधनों, पर्यावरण और सामाजिक ढांचे पर गंभीर प्रभाव डाल रही है।

विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत कब हुई?

विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा की गई थी। इसकी प्रेरणा 11 जुलाई 1987 को मिली, जब दुनिया की जनसंख्या 5 अरब तक पहुंच गई थी। उस ऐतिहासिक दिन को "Five Billion Day" के रूप में जाना गया और इसके बाद से जनसंख्या संबंधी चिंताओं को वैश्विक मंच पर लाने की पहल शुरू हुई।

इस विचार को मूर्त रूप देते हुए, 1990 में पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस को आधिकारिक तौर पर 90 से अधिक देशों में मनाया गया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1990 में 11 जुलाई को हर साल विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

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प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स-गूगल)

क्यों जरूरी है यह दिन?

विश्व जनसंख्या दिवस केवल आंकड़ों की बात नहीं करता, बल्कि यह उन सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों पर ध्यान देता है जो जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न होते हैं। बढ़ती जनसंख्या का सीधा असर भोजन, पानी, ऊर्जा जैसी आवश्यक वस्तुओं की मांग पर पड़ता है, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और रोजगार के अवसरों पर दबाव बढ़ता है और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन होता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते जनसंख्या नियंत्रण, प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता, और लैंगिक समानता जैसे क्षेत्रों में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दशक दुनिया के लिए चुनौतियों से भरे हो सकते हैं।

भारत और जनसंख्या

भारत, जो अब चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है, के सामने यह चुनौती और भी बड़ी है। यहां जनसंख्या नियंत्रण, शिक्षा और महिलाओं की जागरूकता पर केंद्रित नीतियों की जरूरत है।

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