

अमेरिका द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय भले ही आज की ताज़ा सुर्खी हो, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब वाशिंगटन ने नई दिल्ली पर आर्थिक या कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की हो। इतिहास में कई ऐसे मौके आए जब भारत को अमेरिका की धमकियों का सामना करना पड़ा – कभी अनाज रोकने की धमकी, कभी सैन्य हस्तक्षेप, तो कभी परमाणु परीक्षणों पर आर्थिक प्रतिबंध।
1965 में भारत-पाक युद्ध बना इतिहास (सोर्स गूगल)
New Delhi: अमेरिका द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय भले ही आज की ताज़ा सुर्खी हो, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब वाशिंगटन ने नई दिल्ली पर आर्थिक या कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की हो। इतिहास में कई ऐसे मौके आए जब भारत को अमेरिका की धमकियों का सामना करना पड़ा – कभी अनाज रोकने की धमकी, कभी सैन्य हस्तक्षेप, तो कभी परमाणु परीक्षणों पर आर्थिक प्रतिबंध। लेकिन हर बार भारत ने न केवल खुद को संभाला, बल्कि वैश्विक मंच पर अपना कद भी बढ़ाया।
1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान देश भीषण खाद्य संकट से जूझ रहा था। अमेरिका ने उस समय “PL-480” योजना के तहत भारत को गेहूं भेजना बंद करने की धमकी दी। अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने दो टूक कहा — "युद्ध बंद नहीं किया तो गेहूं नहीं मिलेगा।"
लेकिन भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने झुकने से इनकार कर दिया। उन्होंने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया और जनता से एक वक्त का खाना छोड़ने की अपील की। भारत ने भूख को गले लगाया, लेकिन दबाव के आगे सिर नहीं झुकाया।
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारत को डराने के लिए अपना सातवां बेड़ा बंगाल की खाड़ी में भेज दिया। यह एक सीधा सैन्य दबाव था। लेकिन इंदिरा गांधी ने सोवियत संघ से तत्काल मैत्री संधि कर दी और अमेरिका की रणनीति धरी की धरी रह गई। यही नहीं, युद्ध जीतकर भारत ने बांग्लादेश को स्वतंत्र देश बनवा दिया। अमेरिका के चेहरे पर कूटनीतिक हार लिखी जा चुकी थी।
पोखरण-2 परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि यह देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का मामला है।
अमेरिका ने हथियारों की बिक्री और आर्थिक सहायता पर रोक लगाई, लेकिन भारत डटा रहा। अंततः अमेरिका को भारत से संवाद की मेज पर आना पड़ा और दोनों देशों के रिश्ते आगे चलकर रणनीतिक साझेदारी में बदल गए।
आज अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया है, जिससे दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ी है। पर इतिहास की किताबें बताती हैं कि भारत कभी धमकियों से नहीं डरता, बल्कि उन्हें अवसर में बदलता है।जहां एक ओर अमेरिका आर्थिक दबाव बना रहा है, वहीं भारत वैश्विक मंच पर नई रणनीति और आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ रहा है।