संसद में उठी एक चिंगारी… और सामने आया ऐसा सच, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया

आज संसद में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। एक बड़ा खुलासा, एक पुराना दर्द और एक नया जवाब… सब कुछ एक साथ सामने आया। देश की सुरक्षा को लेकर जो आंकड़े रखे गए, वो सोचने पर मजबूर कर देंगे। जानिए वो चौंकाने वाली कहानी।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 29 July 2025, 4:38 PM IST
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New Delhi: संसद का मानसून सत्र आज अपने सातवें दिन पर था। कई मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन जिस विषय ने सबसे अधिक सियासी और सुरक्षा हलकों में हलचल मचाई, वह था "ऑपरेशन सिंदूर"। यह नाम केवल एक सैन्य कार्रवाई का प्रतीक नहीं, बल्कि एक कड़ा संदेश था। भारत अब सिर्फ सहने वाला नहीं, बल्कि जवाब देने वाला देश है।

सूत्रों के अनुसार,  22 अप्रैल 2024 को कश्मीर की बैसरन घाटी में निर्दोष नागरिकों को आतंकियों ने धर्म पूछकर मौत के घाट उतार दिया। यह हमला एक बार फिर इस बात की याद दिला गया कि आतंकवाद अब भी जड़ें जमाने की कोशिश में है। लेकिन इस बार भारत चुप नहीं बैठा। "ऑपरेशन सिंदूर" नामक गुप्त सैन्य अभियान के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया।

गृहमंत्री अमित शाह ने आज संसद में इस ऑपरेशन का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत अब हर हमले का जवाब अपने तरीके से देगा  और वो भी ऐसे, जो दुश्मन को वर्षों तक याद रहे। इसी क्रम में उन्होंने "ऑपरेशन महादेव" का भी ज़िक्र किया, जिसमें तीन आतंकियों को ढेर किया गया।

2000 से 2024 के बीच के आंकडे

सिर्फ इतने पर बात नहीं रुकी। उन्होंने पिछले दो दशकों में आतंकवादी घटनाओं के आंकड़ों को भी संसद के पटल पर रखा। गृह मंत्रालय और दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल (SATP) की रिपोर्ट के अनुसार, 2000 से 2024 के बीच भारत में कुल 22,143 आतंकी घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें 4981 नागरिकों और 3624 सुरक्षाबलों की जान गई।

गृहमंत्री ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस सरकार (2004–2014) के दौरान 7217 आतंकी हमले हुए, जबकि भाजपा सरकार (2014–2024) में इनकी संख्या घटकर 2242 से भी कम हो गई है। यही नहीं, आतंकी घटनाओं में आम नागरिकों की मौत में 81% और सुरक्षाकर्मियों की मौत में 50% तक की गिरावट आई है।

एक महत्वपूर्ण मोड़ था जब उन्होंने अनुच्छेद 370 के हटने का प्रभाव बताया। शाह ने कहा कि इस एक फैसले ने आतंकवाद के पूरे इकोसिस्टम को तहस-नहस कर दिया। पहले जहां आतंकी मारे जाने पर हज़ारों लोगों के जनाजे निकलते थे, अब उन्हें चुपचाप दफना दिया जाता है। कश्मीर अब पहले जैसा नहीं रहा। आतंकवादियों का मनोबल टूटा है, स्थानीय लोगों में डर नहीं, बल्कि उम्मीद बढ़ी है। शाह के शब्दों में, “अब जो आंख दिखाएगा, हम उससे पहले ही आंख निकाल लेंगे।”

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  • 29 July 2025, 4:38 PM IST