संसद में पेश हुआ Right to Disconnect Bill 2025 कर्मचारियों को ड्यूटी टाइम के बाद ऑफिस कॉल और ईमेल से आज़ादी दे सकता है। अगर यह कानून बना, तो भारत में वर्क-लाइफ बैलेंस को नया रूप मिलेगा।

राइट टू डिस्कनेक्ट बिल (Img Source: Google)
New Delhi: अगर आप जॉब करते हैं और ऑफिस छुट्टी के बाद भी बॉस की कॉल, मैसेज या ईमेल से परेशान रहते हैं, तो यह खबर आपके लिए राहत लेकर आ सकती है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने शुक्रवार को ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025’ लोकसभा में पेश किया है। यह बिल अगर कानून का रूप लेता है, तो यह देश के करोड़ों कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस को पूरी तरह बदल सकता है।
आज के डिजिटल दौर में स्मार्टफोन, लैपटॉप और इंटरनेट ने काम को घर तक पहुंचा दिया है। हालत यह हो गई है कि कर्मचारी छुट्टी के बावजूद दफ्तर के काम से पूरी तरह अलग नहीं हो पाते। ऐसे में, यह बिल कर्मचारियों को मानसिक राहत देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
राइट टू डिस्कनेक्ट बिल का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी कर्मचारी अपनी तय ड्यूटी टाइम के बाद ऑफिस के काम से पूरी तरह मुक्त रह सके। इसका मतलब यह होगा कि:
इस बिल का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को मानसिक तनाव, कार्य थकान और निजी जीवन की अनदेखी जैसी समस्याओं से बचाना है।
वर्क फ्रॉम होम और 24x7 कनेक्टिविटी के चलते कर्मचारियों पर लगातार काम का दबाव बढ़ा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बड़ी संख्या में युवा प्रोफेशनल्स बर्नआउट, अनिद्रा और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बिल के जरिए, सरकार यह संदेश देना चाहती है कि काम के समय और निजी समय के बीच एक स्पष्ट सीमा होनी चाहिए।
यह बिल मुख्य रूप से इन सभी को सीधे तौर पर सुरक्षा प्रदान कर सकता है:
यह कानून दुनिया के कई देशों में पहले से लागू है। फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन जैसे देशों में पहले से ही Right to Disconnect Law लागू है। फ्रांस ने सबसे पहले 2017 में इसे लागू किया था, जहां कंपनियों को कर्मचारियों की छुट्टी के समय संपर्क न करने का नियम मानना पड़ता है।
अगर यह बिल पास होता है तो भारत में: