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2025 की पहली छमाही रूस की ऊर्जा अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण रही। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट, पश्चिमी देशों के प्रतिबंध, और रूबल की मजबूती ने रूसी तेल कंपनियों के मुनाफे को बुरी तरह प्रभावित किया है।
तेल कीमतों में गिरावट से खोखला हुआ मुनाफा
New Delhi: रूस की प्रमुख तेल उत्पादक कंपनियों को साल 2025 के पहले छह महीनों में जबरदस्त आर्थिक झटका लगा है। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी Rosneft PJSC का मुनाफा 68% तक गिरकर 245 अरब रूबल रह गया है। इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं, जिनमें वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, पश्चिमी प्रतिबंध और रूसी मुद्रा रूबल की अप्रत्याशित मजबूती शामिल है। इस गिरावट ने न सिर्फ कंपनियों की आय को प्रभावित किया है, बल्कि रूस की समग्र अर्थव्यवस्था पर भी इसका नकारात्मक असर देखा जा रहा है।
'द इकोनॉमिक्स' की रिपोर्ट के अनुसार, केवल Rosneft ही नहीं, बल्कि रूस की अन्य बड़ी तेल कंपनियों Lukoil PJSC, Gazprom Neft PJSC और Tatneft PJSC को भी मुनाफे में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों में तेल कंपनियों के लिए लागत निकाल पाना भी चुनौती बनता जा रहा है।
तेल कीमतों में गिरावट से खोखला हुआ मुनाफा
Rosneft के CEO इगोर सेचिन ने बताया कि इस साल की पहली छमाही में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई, क्योंकि तेल का उत्पादन अपेक्षा से अधिक हो गया। OPEC+ देशों ने उत्पादन जल्दी बहाल किया, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका के चलते तेल की मांग कमजोर बनी रही। इसका सीधा असर रूस के प्रमुख निर्यात ब्रांड Urals की कीमतों पर पड़ा, जो औसतन 58 डॉलर प्रति बैरल रही। जो कि 2024 की तुलना में लगभग 13% कम है।
2025 की पहली छमाही में रूसी मुद्रा रूबल में 23% की मजबूती दर्ज की गई। 31 अगस्त 2025 तक डॉलर के मुकाबले रूबल की कीमत 79.65 रूबल प्रति डॉलर तक पहुंच गई। इससे तेल कंपनियों को हर बैरल तेल के निर्यात पर कम रूबल प्राप्त हुए।
अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते रूसी तेल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी छूट (Discount) पर बेचना पड़ रहा है। इस छूट का सीधा असर कंपनियों की आय पर पड़ा है। CEO सेचिन ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंधों के चलते कंपनियों को न केवल कम कीमत पर तेल बेचना पड़ रहा है, बल्कि साथ ही मजबूत रूबल की वजह से घरेलू राजस्व भी घट गया है। उनका कहना है कि जून और जुलाई में केंद्रीय बैंक द्वारा की गई 300 बेसिस पॉइंट की ब्याज दरों में कटौती काफी नहीं है। यदि ब्याज दरें इसी तरह ऊंची बनी रहती हैं तो निवेश घटेगा और कंपनियों की वित्तीय मजबूती पर खतरा बना रहेगा।
Rosneft की तरह Lukoil और Gazprom Neft जैसी प्रमुख कंपनियों ने भी 50% से अधिक मुनाफे में गिरावट दर्ज की है। वहीं अपेक्षाकृत छोटी कंपनी Tatneft को 62% तक की गिरावट का सामना करना पड़ा है। यह दर्शाता है कि पूरे रूसी तेल क्षेत्र पर आर्थिक दबाव बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जहां एक ओर वैश्विक तेल कंपनियां भी कीमतों की गिरावट से जूझ रही हैं, वहीं रूसी कंपनियों को अतिरिक्त दबाव झेलना पड़ रहा है जैसे भू-राजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध और मुद्रा में उतार-चढ़ाव।
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