

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों मालदीव के ऐतिहासिक दौरे पर हैं, जहाँ वे मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंधों की नई ऊँचाई और रणनीतिक दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
मालदीव दौरे पर पीएम मोदी (सोर्स इंटरनेट)
New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों मालदीव के ऐतिहासिक दौरे पर हैं, जहाँ वे मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंधों की नई ऊँचाई और रणनीतिक दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
मालदीव सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को 60वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ के समारोह में आमंत्रित किया था। लेकिन यह दौरा केवल एक औपचारिक निमंत्रण नहीं था इसमें भारत की हिंद महासागर नीति और रणनीतिक हित भी गहराई से जुड़े हैं।
भारत और मालदीव के रिश्तों में पिछले कुछ वर्षों में कई उतार-चढ़ाव देखे गए हैं, खासकर जब मालदीव में चीन समर्थक सरकारें सत्तारूढ़ रही हैं। लेकिन मुइज्जू सरकार ने इस बार पीएम मोदी की मेजबानी कर यह स्पष्ट कर दिया कि भारत-मालदीव संबंध फिर पटरी पर लौट रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव को ₹4,850 करोड़ (565 मिलियन डॉलर) की नई लोन लाइन ऑफ क्रेडिट दी है। यह राशि मालदीव में बुनियादी ढांचे के विकास, आवास परियोजनाओं और सड़क निर्माण में उपयोग की जाएगी।
प्रमुख सौगातें:
भारत और मालदीव के बीच मुक्त व्यापार समझौते (IMFTA) पर वार्ता शुरू हो गई है। यह समझौता दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को गहराई देगा, खासकर कृषि, निर्माण और सेवाओं के क्षेत्र में।
मालदीव हिंद महासागर में भारत के लिए एक अहम मोर्चा है। यहाँ भारत की मौजूदगी चीन के प्रभाव को संतुलित करती है। मालदीव में भारतीय कंपनियों और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। भारत की 'First Responder' छवि और सामरिक उपस्थिति को मजबूती मिलेगी। मालदीव की जमीन से चीन को एक स्पष्ट संदेश भारत अभी भी इस क्षेत्र की मुख्य शक्ति है।
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