Beijing: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात 10 महीने बाद बीजिंग में हो रही है, जो न केवल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद की मजबूती का संकेत है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी अहम माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, इस मुलाकात का समय बेहद खास है क्योंकि इसके कुछ ही दिन बाद चीन में 3 सितंबर को विश्व फासीवाद-विरोधी युद्ध और जापानी आक्रमण के खिलाफ चीनी जन प्रतिरोध युद्ध की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर बड़ी सैन्य परेड आयोजित की जाएगी। इस सैन्य परेड के चलते विश्व की नजरें तियानजिन और बीजिंग पर टिकी हैं।
असली वजह क्या है?
विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव को कम करने की कोशिश है। व्यापार, सीमा विवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर खुलकर बातचीत कर दोनों नेता रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित करना चाहते हैं। साथ ही यह भी साफ संदेश है कि द्विपक्षीय संवाद के जरिए आपसी मतभेदों को सुलझाया जा सकता है।
दोनों देशों को क्या फायदा होगा?
इस बैठक से दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ेगा, खासकर व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में। सीमा पर शांति कायम रहने से सुरक्षा खर्च कम होगा और दोनों देश आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। इसके अलावा, यह रणनीतिक साझेदारी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी अहम होगी।
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रिश्तों को मिलेगी नई पहचान
मोदी और जिनपिंग की यह मुलाकात भारत-चीन संबंधों को ‘विवेकपूर्ण सहयोग और प्रतिस्पर्धा’ की नई पहचान दे सकती है। यह दिखाएगा कि दोनों महाशक्तियां आपसी सम्मान और संवाद के जरिए विवादों का समाधान कर सकती हैं, जिससे क्षेत्रीय शांति को मजबूती मिलेगी। इस मुलाकात को कूटनीतिक क्षेत्र में बड़े बदलाव की शुरुआत माना जा रहा है, जो आने वाले महीनों में भारत-चीन संबंधों की दिशा तय करेगी।