Site icon Hindi Dynamite News

285 बदलावों वाला नया टैक्स बिल कल लोकसभा में, जानिए क्या है नया

आयकर अधिनियम, 1961, जो अब तक भारत में टैक्स वसूली और आय निर्धारण की रीढ़ रहा है, आखिरकार अपने आखिरी अध्याय में पहुंच चुका है। नए इनकम टैक्स बिल, 2025 को लेकर बनी संसदीय प्रवर समिति की समीक्षा रिपोर्ट 21 जुलाई को संसद में पेश की जाएगी। ये केवल एक विधायी प्रक्रिया नहीं, बल्कि टैक्स न्याय व्यवस्था के डिजिटलीकरण और सरलीकरण की दिशा में ऐतिहासिक क़दम है।
Post Published By: Poonam Rajput
Published:
285 बदलावों वाला नया टैक्स बिल कल लोकसभा में, जानिए क्या है नया

New Delhi: आयकर अधिनियम, 1961, जो अब तक भारत में टैक्स वसूली और आय निर्धारण की रीढ़ रहा है, आखिरकार अपने आखिरी अध्याय में पहुंच चुका है। नए इनकम टैक्स बिल, 2025 को लेकर बनी संसदीय प्रवर समिति की समीक्षा रिपोर्ट 21 जुलाई को संसद में पेश की जाएगी। ये केवल एक विधायी प्रक्रिया नहीं, बल्कि टैक्स न्याय व्यवस्था के डिजिटलीकरण और सरलीकरण की दिशा में ऐतिहासिक क़दम है।

क्या है सबसे बड़ा बदलाव?

सूत्रों के अनुसार, यह कानून अब “पढ़ने लायक” टैक्स कानून बनने जा रहा है। जहां पुराने कानून में 816 धाराएं थीं, वहीं नया विधेयक केवल 536 धाराओं में सारा डेटा समेट देगा। और सबसे अहम—अब टैक्सपेयर्स को “प्रीवियस ईयर” और “एसेसमेंट ईयर” जैसी उलझनों से नहीं गुजरना होगा। अब एक ही ‘कर वर्ष’ (Tax Year) होगा — यानी टैक्स की गणना उसी वर्ष में होगी जिस वर्ष में आय अर्जित की गई है।

आयकर विधेयक, सोर्स इंटरनेट

संख्याओं में बदलाव का विज्ञान

  1. तत्व 1961 का कानून नया बिल 2025
  2. धाराएं 816 536
  3. अध्याय 47 23
  4. शब्द 5.12 लाख 2.6 लाख
  5. स्पष्टीकरण ~900 हटा दिए गए
  6. प्रावधान ~1200 हटाए गए
  7. टेबल्स 18 57

इससे यह स्पष्ट है कि सरकार ने केवल शब्दों को नहीं, बल्कि टैक्सपेयर्स की उलझनों को भी आधा कर दिया है। इस नए बिल को सरकार ने डिज़ाइन किया है मुकदमेबाजी को कम करने के उद्देश्य से। सरल भाषा, डिजिटल इंटरफेस के अनुरूप संरचना और स्पष्ट नियम इसे आम आदमी के लिए पहली बार टैक्स कानून को “समझने लायक” बना रहे हैं। इसके साथ ही TDS और TCS से जुड़े नियमों को 57 टेबल्स के माध्यम से और ज्यादा पारदर्शी बनाया गया है  यानी अब कंपनियों, स्टार्टअप्स और फ्रीलांसर्स को बार-बार टैक्स सलाहकार की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

क्यों है यह विधेयक ऐतिहासिक?

यह सिर्फ टैक्स सुधार नहीं, बल्कि आर्थिक न्याय और प्रशासनिक दक्षता की ओर एक कदम है। यह विधेयक भारत को आसान टैक्स प्रणाली वाले देशों की श्रेणी में लाने की कोशिश है, जिससे विदेशी निवेशक भी आकर्षित होंगे। ‘एक कर वर्ष’ की अवधारणा देश की अंतरराष्ट्रीय टैक्स व्यवस्था से संगति बनाएगी।

21 जुलाई से शुरू होने वाले मॉनसून सत्र में यह विधेयक संसद के समक्ष रखा जाएगा। संभावना है कि इस पर व्यापक बहस होगी, लेकिन सरकार ने संकेत दे दिए हैं कि यह केवल टेक्निकल नहीं, बल्कि पॉलिटिकली सिग्निफिकेंट बिल होगा।

Exit mobile version