नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 संक्रमण एक बार फिर बढ़ने लगा है। 26 मई को देश में सक्रिय मामलों की संख्या 1,010 तक पहुंच गई, जो लगभग तीन वर्षों में पहली बार 1,000 के आंकड़े को पार कर गई है। यह आंकड़ा न केवल चिंता बढ़ाने वाला है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि कोविड अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
इन तीन राज्यों में सबसे अधिक संक्रमण
डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में कोविड संक्रमण का सबसे अधिक प्रभाव तीन राज्यों में देखा जा रहा है। केरल में कुल मामलों का 40 प्रतिशत हिस्सा है, जो इसे सबसे अधिक प्रभावित राज्य बनाता है। इसके बाद महाराष्ट्र में 210 और दिल्ली में 104 सक्रिय मामले सामने आए हैं। ये तीन राज्य मिलकर देश के कुल संक्रमणों का 74 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं।
26 मई को पंजाब में इस वर्ष का पहला कोविड मामला दर्ज किया गया, जिससे संकेत मिलता है कि संक्रमण का प्रसार अब उन राज्यों तक भी हो रहा है, जहां पहले इसकी संख्या शून्य के करीब थी।
मौतों के आंकड़े भी चिंता का विषय
मौतों के आंकड़े भी चिंता का विषय बने हुए हैं। 19 मई के बाद से देश में छह मौतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से तीन महाराष्ट्र में, दो केरल में और एक कर्नाटक में हुई है। हालांकि ये संख्या पिछले वर्षों की तुलना में कम है, फिर भी यह बताती है कि वायरस अभी भी घातक साबित हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनका टीकाकरण पूरा नहीं हुआ है।
बूस्टर डोज़ का कवरेज
देश की बड़ी आबादी को कोविड टीकाकरण की पहली और दूसरी खुराक मिल चुकी है, लेकिन एहतियाती खुराक यानी बूस्टर डोज़ का कवरेज अब भी बेहद कम है। एक सरकारी विश्लेषण के अनुसार, केवल 25 प्रतिशत लोगों ने ही एहतियाती खुराक ली है। यह खुराक केवल वयस्कों के लिए उपलब्ध कराई गई थी, और इसके प्रति लोगों में जागरूकता और तत्परता की कमी स्पष्ट रूप से देखी जा रही है।
टीकाकरण की स्थिति को आयु वर्ग के अनुसार देखा जाए तो 12-14 वर्ष के आयु वर्ग में दूसरी खुराक का कवरेज 78.8 प्रतिशत है, 15-18 वर्ष के लिए यह 86.6 प्रतिशत और 18 वर्ष से ऊपर के लोगों में यह 93.9 प्रतिशत है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि युवा वर्ग में टीकाकरण की दर अपेक्षाकृत कम है, जो भविष्य में एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
पांच राज्यों में एहतियाती खुराक
भारत के पांच राज्यों में एहतियाती खुराक का कवरेज 10 प्रतिशत से भी कम है। विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों जैसे मेघालय, नागालैंड और पंजाब में यह दर 9 प्रतिशत से भी नीचे है, जिससे ये राज्य संक्रमण की संभावित लहर के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

