

भीलवाड़ा के हरिशेवा उदासीन आश्रम में सतगुरु बाबा शेवाराम जी महाराज का 109वां प्राकट्य उत्सव श्रद्धा और उल्लास से प्रारंभ हुआ। हवन, रामायण पाठ, संतों के प्रवचन और भंडारे के साथ भक्ति की गंगा बही। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम जी ने आत्मा के सुख को प्राथमिकता देने का संदेश दिया।
सतगुरु बाबा शेवाराम जी का 109वां प्राकट्य उत्सव श्रद्धा और भक्ति से प्रारंभ
Bhilwara: हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर (भीलवाड़ा) में आराध्य परम पूज्य सतगुरु बाबा शेवाराम जी महाराज का 109वां प्राकट्य उत्सव सोमवार को अत्यंत श्रद्धा, उल्लास और भक्ति के साथ प्रारंभ हुआ। आश्रम परिसर में प्रातःकाल से ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा और संपूर्ण वातावरण गुरु भक्ति और संत वाणी से गुंजायमान हो उठा। कार्यक्रम की शुरुआत वेद मंत्रोच्चारण और गुरुवंदना से हुई। इसके पश्चात हवन, पूजन एवं रामायण पाठ का विधिवत शुभारंभ किया गया। भक्तों और श्रद्धालुओं ने सविनय भाग लिया।
➡️Video: भीलवाड़ा में सतगुरु बाबा शेवाराम जी का 109वां प्राकट्य उत्सव श्रद्धा और भक्ति से प्रारंभ
➡️ हरिशेवा उदासीन आश्रम में रामायण पाठ, छप्पन भोग और संत प्रवचनों से गूंजा वातावरण
➡️ देखें इस मौके पर क्या बोले महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन pic.twitter.com/8Lt1vaNzx8— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 6, 2025
संतों के सत्संग और प्रवचन से हुआ आत्मिक स्पंदन
कार्यक्रम में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम जी महाराज ने प्रवचन में कहा, “आत्मा के सुख की तलाश करो, संसारी सुख की नहीं। सच्चा सुख केवल आत्मा की शांति और ईश्वर की भक्ति में निहित है।” उन्होंने भजन "जी सुख पाया" और "कीयं भुलाईन्दस तुहिंजे स्थान खे" प्रस्तुत कर गुरुओं की महिमा का गुणगान किया। उनके ओजपूर्ण वचनों ने श्रोताओं को आत्मिक शांति की ओर प्रेरित किया।
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वहीं, पुष्कर से पधारे महंत हनुमानराम उदासीन ने भावपूर्ण भजन “गुरु मुखे ज्ञान दे, सुमत ऐहिं शान दे” प्रस्तुत किया, जबकि राजकोट के स्वामी अमरलाल ने “सतगुरु तुमरे कारज संवारे” और इंदौर के संत संतदास ने आचार्य श्री श्रीचंद्र भगवान की स्तुति करते हुए भक्तिरस से सराबोर कर दिया।
देशभर से पहुंचे संत-महात्मा
इस पावन अवसर पर अनेक संत-महात्माओं का भी आगमन हुआ, जिनमें प्रमुख रूप से अजमेर के ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महंत स्वरूपदास, इंदौर से स्वामी मोहनदास, संत गोविंदराम और अन्य निर्वाण संतों का आगमन हुआ। भक्तों को इन महान संतों के सान्निध्य और दर्शन का लाभ प्राप्त हुआ। दोपहर में अन्न क्षेत्र की सेवा के अंतर्गत संतों-महात्माओं के लिए भंडारे का आयोजन हुआ। संध्याकालीन सत्र में विशेष रूप से छप्पन भोग प्रसाद तैयार किया गया, जिसमें सैकड़ों भक्तों ने सहभागिता कर प्रसाद ग्रहण किया।
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7 अक्टूबर को ध्वजारोहण और विशेष साधना
संत गोविंदराम जी ने जानकारी दी कि प्राकट्य उत्सव का द्वितीय दिवस, मंगलवार 7 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। प्रातः 5 से 6 बजे तक समाधि साहब पर मौन साधना रखी जाएगी। प्रातः 8 बजे धर्म ध्वजा साहब की स्थापना की जाएगी। तत्पश्चात रामायण पाठ पूर्णता, भोग, सत्संग, प्रार्थना, लड्डू महाप्रसाद और विशाल भंडारे का आयोजन होगा। यह पर्व भक्तों के लिए न केवल भक्ति व आस्था का, बल्कि आत्मिक चेतना के जागरण का विशेष अवसर है।