दिसंबर में सैकड़ों उड़ानें रद्द होने के बाद इंडिगो का परिचालन संकट अब गंभीर जांच के घेरे में है। सीसीआई और डीजीसीए दोनों ही एयरलाइन की भूमिका, प्रबंधन और बाजार प्रभाव की पड़ताल कर रहे हैं। प्रारंभिक आकलन के बाद आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मामले में विस्तृत जांच जरूरी है।

इंडिगो संकट (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
New Delhi: देश की सबसे बड़ी घरेलू विमानन कंपनी इंडिगो को दिसंबर की शुरुआत में जिस बड़े परिचालन संकट का सामना करना पड़ा था, वह अब गंभीर नियामकीय जांच के दायरे में आ गया है। सैकड़ों उड़ानों के रद्द होने से देशभर में हजारों यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी थी। एयरपोर्ट्स पर अव्यवस्था, लंबी कतारें और यात्रियों का गुस्सा साफ तौर पर देखा गया। अब इस पूरे मामले पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की कड़ी नजर बनी हुई है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने गुरुवार को साफ किया कि उसने प्रतिस्पर्धा कानूनों के तहत इंडिगो के खिलाफ मिली शिकायतों पर आगे जांच करने का फैसला लिया है। सीसीआई के अनुसार, उसे विमानन क्षेत्र में विभिन्न रूट्स पर उड़ानों में आई बाधाओं को लेकर शिकायतें प्राप्त हुई थीं। प्रारंभिक आकलन के बाद आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मामले में विस्तृत जांच जरूरी है।
दिसंबर की शुरुआत से इंडिगो ने तकनीकी कारणों, क्रू की कमी और ऑपरेशनल चुनौतियों का हवाला देते हुए सैकड़ों उड़ानें रद्द की थीं। इन रद्दियों का सीधा असर यात्रियों पर पड़ा, जिनमें से कई को वैकल्पिक उड़ानें नहीं मिल सकीं या घंटों तक एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा। इस स्थिति ने एयरलाइन के परिचालन प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
दिसंबर में सैकड़ों उड़ानें रद्द (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
इंडिगो की बाजार में मजबूत स्थिति भी जांच का अहम पहलू बन गई है। कंपनी घरेलू विमानन बाजार में 65 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखती है। ऐसे में उसके ऑपरेशंस में आई किसी भी बड़ी बाधा का असर न केवल यात्रियों पर, बल्कि पूरे एविएशन सेक्टर पर पड़ता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी बाजार हिस्सेदारी के कारण प्रतिस्पर्धा से जुड़े मुद्दे भी उभर सकते हैं, जिन्हें सीसीआई अब परख रहा है।
वहीं दूसरी ओर, विमानन सुरक्षा नियामक डीजीसीए भी इंडिगो के परिचालन में आई रुकावटों की अलग से जांच कर रहा है। डीजीसीए यह जानने की कोशिश कर रहा है कि उड़ानों के बड़े पैमाने पर रद्द होने के पीछे सुरक्षा, रखरखाव या स्टाफिंग से जुड़ी कोई गंभीर खामी तो नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, डीजीसीए इंडिगो के शेड्यूलिंग सिस्टम, विमानों की उपलब्धता और क्रू मैनेजमेंट की गहन समीक्षा कर रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने कर्मचारियों और यात्रियों को भरोसा दिलाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि कंपनी सबसे बुरे दौर से बाहर निकल चुकी है और अब उसका पूरा ध्यान परिचालन को स्थिर और मजबूत बनाने पर है। एल्बर्स के अनुसार, इंडिगो संकट के मूल कारणों की समीक्षा कर रही है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न पैदा हो।
हालांकि, जब तक सीसीआई और डीजीसीए की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक इंडिगो पर नियामकीय दबाव बना रहेगा। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि उड़ानों की इन रद्दियों को केवल परिचालन चूक माना जाता है या फिर प्रतिस्पर्धा कानूनों के उल्लंघन के तौर पर भी कोई सख्त कार्रवाई होती है।