Jharkhand: झारखंड के धनबाद‑वासेपुर इलाके से जुड़ी क्राइम की कहानियों में एक नया मोड़ सामने आया है। फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में फैजल खान के किरदार के रूप में दिखाए गए डॉन फहीम खान को आज 22 साल बाद कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। झारखंड हाईकोर्ट ने फहीम को छह सप्ताह के भीतर जेल से बाहर निकलने का निर्देश दिया है। फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में फिल्माया गया किरदार उसकी वास्तविक कहानी से प्रेरित है। फहीम की रिहाई न सिर्फ वासेपुर इलाके के लिए बल्कि अपराध की दुनिया में अहम मोड़ ला सकती है।
फहीम ने कहां से कि अपराध की शुरुआत
झारखंड में वासेपुर के नाम से प्रसिद्ध यह इलाका थोक गिरोहों, रंगदारी और जमीनों के कारोबार के कारण लंबे समय से चर्चा में रहा है। फहीम खान का नाम पहली बार 1989 में सामने आया जब वासेपुर में एक हत्याकांड हुआ था। रिपोर्ट्स के मुताबिक पिता और भाई की हत्या के बाद उन्होंने बंदूक उठाई थी और धीरे‑धीरे इलाके में अपना दबदबा बना लिया। इसके बाद से फहीम के खिलाफ रंगदारी, अपहरण, हत्या के आरोपों की लंबी शिकायतें दर्ज होने लगी।
फहीम और फैजल में क्या है अंतर
करीब 2012 में आई गैंगस्टर फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर‘ ने इसी वासेपुर‑धनबाद की क्राइम पृष्ठभूमि को बड़े परदे पर उतारा। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में दिखाया गया ‘फैजल खान’ का चरित्र फहीम खान से ही प्रेरित माना जाता है। हालांकि, कई स्थानीय लोगों का कहना है कि फिल्म ने कई घटनाओं को कथात्मक रूप दिया है और असल‑हकीकत से पूरी तरह मेल नहीं खाती।
22 साल के बाद मिल रही रिहाई
फहीम खान को जून 2011 में एक हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वह वर्तमान में जमशेदपुर के घाघीडीह जेल में बंद हैं। लेकिन हाल ही में झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि छह सप्ताह के भीतर उन्हें रिहा किया जाए। यह फैसला 22 साल से चल रहे उसके जेल जीवन में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
रिहाई से कितनी बढ़ेंगी चुनौतियां
फहीम की गिरफ्तारी के बाद उसका परिवार सक्रिय रहा है। फहीम खान के बाद उसका भांजा प्रिंस खान वासेपुर में बने दबदबे का चेहरा बन गया है, रंगदारी, जमीन विवाद और गैंगस्टर वर्चस्व के आरोपों में उसके नाम आज भी दर्ज हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार अब फहीम के रिहाई के बाद इलाके में फिर से सत्ता, शिक्षण, भरोसे और अस्थिरता की चुनौतियां उभर सकती हैं।

