New Delhi: दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्लीवासियों को राहत दी है। अदालत ने बुधवार को राजधानी में 21 अक्टूबर तक ‘ग्रीन पटाखों’ के सीमित उपयोग की मंजूरी दी है। कोर्ट ने साफ किया कि केवल पर्यावरण-अनुकूल पटाखे ही जलाए जा सकते हैं, जिनसे प्रदूषण का स्तर नहीं बढ़े।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि प्रतिबंधित रासायनिक पटाखों की बिक्री या उपयोग न हो। अदालत ने यह भी कहा कि पटाखे सिर्फ तय समय सीमा में ही चलाए जा सकते हैं।
कोर्ट ने NGT और पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिया है कि वे ग्रीन पटाखों के मानकों की निगरानी करें और उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई करें। कोर्ट ने पटाखे जलाने के लिए तय समय सीमा भी घोषित की है। निर्देशों के मुताबिक लोग सुबह 2 घंटे (6 से 8 बजे तक) और रात को 2 घंटे (8 से 10 बजे तक) ही ग्रीन पटाखे जला सकेंगे। इस अवधि के बाहर किसी भी तरह का पटाखा जलाना कानूनन अपराध माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली-NCR को दिवाली का तोहफा
चीफ जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केवल नीरी (NEERI) द्वारा अनुमोदित ग्रीन पटाखों को ही जलाने की इजाजत होगी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पटाखा बैन पर छूट देने के संकेत दिए थे। अब अदालत ने कहा है कि दिल्ली और एनसीआर में पूरी तरह प्रतिबंध लगाना व्यावहारिक नहीं है। इसलिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है ताकि त्योहार की खुशियों के साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी बनी रहे।
कहां और कैसे चलेंगे पटाखे
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पटाखे केवल निर्धारित स्थानों पर ही जलाए जा सकेंगे। दिल्ली या NCR के बाहर से कोई भी पटाखा यहां लाने की अनुमति नहीं होगी। अगर किसी दुकान पर नकली ग्रीन पटाखे पाए गए तो उसका लाइसेंस तुरंत निलंबित किया जाएगा।
कोर्ट ने एनजीटी और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं। नीरी यादृच्छिक नमूने एकत्र करेगी और नियमों का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर दंडात्मक कार्रवाई होगी।
व्यावहारिक और संतुलित दृष्टिकोण जरूरी
फैसले के दौरान चीफ जस्टिस बी. आर. गवई ने कहा कि, ‘हमने सॉलिसिटर जनरल और एमिकस क्यूरी के सुझावों पर विचार किया है। पारंपरिक पटाखों की तस्करी अधिक नुकसानदायक होती है। हमें पर्यावरणीय चिंताओं, त्योहारों की भावनाओं और पटाखा निर्माताओं की आजीविका को ध्यान में रखते हुए संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा।’
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उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिबंध लगाने के बाद भी वायु गुणवत्ता में ज्यादा सुधार नहीं हुआ, लेकिन ग्रीन पटाखों के आने के बाद पिछले छह वर्षों में प्रदूषण के स्तर में कमी आई है। इसमें NERE जैसी संस्थाओं की भूमिका अहम रही है।