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गहरे समुद्र की खोज: नेशनल डीपवाटर एक्सप्लोरेशन मिशन का आगाज, ‘समुद्र मंथन’ से मिलेगा नया बल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से ऐलान किया कि भारत अब ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इस दिशा में देश ‘समुद्र मंथन’ की तर्ज पर समुद्र के भीतर तेल और गैस के भंडार की खोज करेगा।
Post Published By: Asmita Patel
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गहरे समुद्र की खोज: नेशनल डीपवाटर एक्सप्लोरेशन मिशन का आगाज, ‘समुद्र मंथन’ से मिलेगा नया बल

New Delhi: 15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 79वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में भारत के ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अब भारत ‘समुद्र मंथन’ की राह पर चलेगा। यह मंथन प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और तकनीकी प्रयासों का संकेत है, जिसमें समुद्र के भीतर छिपे तेल और गैस के भंडारों की खोज की जाएगी। इसके लिए ‘मिशन मोड’ में काम किया जाएगा। जिससे भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद है।

नेशनल डीपवाटर एक्सप्लोरेशन मिशन का शुभारंभ

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी ऐलान किया कि सरकार “नेशनल डीपवाटर एक्सप्लोरेशन मिशन” शुरू कर रही है। यह मिशन गहरे समुद्र में तेल और प्राकृतिक गैस की खोज के लिए समर्पित होगा। भारत अभी भी ऊर्जा के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है, ऐसे में घरेलू स्रोतों की पहचान और दोहन एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है। यह कदम भारत को न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि विदेशी मुद्रा की बचत भी करेगा और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा।

क्रिटिकल मिनरल्स

पीएम मोदी ने अपने भाषण में ‘क्रिटिकल मिनरल्स’ के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत ने “नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन” की शुरुआत की है, जिसके तहत देशभर में 1200 से अधिक स्थानों पर खनिजों की खोज का कार्य चल रहा है। क्रिटिकल मिनरल्स ऐसे खनिज होते हैं जो इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल, बैटरियां, स्मार्टफोन और रक्षा उपकरणों जैसे आधुनिक उद्योगों के लिए आवश्यक होते हैं, लेकिन उनकी उपलब्धता बेहद सीमित होती है और ये गिने-चुने देशों में पाए जाते हैं।

आत्मनिर्भर भारत के लिए खनिज क्षेत्र में मजबूती जरूरी

पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भारत के लिए सिर्फ एक विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता है। अगर भारत को टेक्नोलॉजी, ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व करना है तो इन दुर्लभ खनिजों की घरेलू उपलब्धता और नियंत्रण अनिवार्य है। इससे भारत की रणनीतिक ताकत बढ़ेगी और विदेशी निर्भरता में कमी आएगी।

आइडिया को मरने मत दीजिए

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में देश के युवाओं को भी खास संदेश दिया। उन्होंने कहा, “मैं देश के युवाओं से कहता हूं, आप इनोवेटिव आइडिया लेकर आइए। अपने आइडिया को मरने मत दीजिए। आज का आइडिया आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बन सकता है।” उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे हिम्मत दिखाएं, पहल करें और नए-नए प्रयोग करें, क्योंकि सरकार उनके साथ है। यह स्पष्ट संदेश था कि भारत का भविष्य नवाचार में है और इसमें युवाओं की भूमिका निर्णायक होगी।

समय की कद्र और विकास की रफ्तार

पीएम मोदी ने देश को यह भी याद दिलाया कि अब समय गंवाने का वक्त नहीं है। उन्होंने कहा, “2047 दूर नहीं है। हमें हर पल की कद्र करनी है और कोई भी क्षण बर्बाद नहीं करना है।” प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य यह संकेत देता है कि आने वाले दो दशकों में भारत को विकसित राष्ट्रों की कतार में लाने के लिए मिशन मोड में कार्य करना होगा। और इसमें युवाओं, वैज्ञानिकों, उद्यमियों और नीति निर्माताओं की अहम भूमिका होगी।

नवाचार और संसाधनों के मेल से विकसित भारत का सपना

प्रधानमंत्री मोदी के 79वें स्वतंत्रता दिवस भाषण का सार यही है कि भारत अब अपने संसाधनों की खोज और दोहन के जरिए आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। ‘समुद्र मंथन’ और ‘क्रिटिकल मिनरल्स मिशन’ इस दिशा में दो मजबूत आधारस्तंभ होंगे। वहीं, युवाओं की ऊर्जा, नवाचार और साहस इस प्रयास को मजबूती देंगे।

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