

रक्षाबंधन, भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। क्या राखी बांधने का अधिकार सिर्फ बहनों तक सीमित होना चाहिए? रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं रहा। जानिए इस पवित्र त्योहार का बदलता स्वरूप, सामाजिक दृष्टिकोण और बढ़ती समानता की भावना।
राखी का महत्व
New Delhi: रक्षाबंधन, भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र, सुरक्षा और समृद्धि की कामना करती है, जबकि भाई जीवनभर बहन की रक्षा का वचन देता है। लेकिन क्या राखी बांधने का अधिकार केवल बहन का ही होता है? इस प्रश्न ने आज के समाज में एक नई सोच को जन्म दिया है।
परंपरा का मूल भाव
रक्षाबंधन शब्द दो भागों से मिलकर बना है ‘रक्षा’ और ‘बंधन’। इसका अर्थ है सुरक्षा का बंधन। यह केवल एक धार्मिक या पारंपरिक क्रिया नहीं, बल्कि स्नेह, समर्पण और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से भी इस त्योहार के कई रूप रहे हैं। कभी राजाओं ने ब्राह्मणों से रक्षा सूत्र बंधवाया, तो कभी महिलाओं ने योद्धाओं को राखी बांधकर उन्हें युद्ध में जीत की कामना दी। ऐसे में यह परंपरा बन गई कि यह धागा बहन के हाथ से ही बांधा जाए, जो प्यार, अपनापन और विश्वास का प्रतीक हो।
पौराणिक दृष्टिकोण
अगर हम पौराणिक कहानियों की बात करें, तो द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को राखी बांधी थी, जब उन्होंने उसकी रक्षा की थी। रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी थी और उसने उसकी रक्षा का वादा निभाया। इन सभी उदाहरणों में एक बात समान थी एक महिला ने एक पुरुष से सुरक्षा की आशा में राखी बांधी। यह साबित करता है कि रक्षाबंधन का मूल भाव भरोसा और रक्षा का वादा है, जो परंपरागत रूप से भाई-बहन के रिश्ते से जुड़ा हुआ है।
क्या सिर्फ बहन ही राखी बांध सकती है?
आज के समय में यह परंपरा सिर्फ भाई-बहन तक सीमित नहीं रही है। बहनें भी बहनों को राखी बांधती हैं, दोस्त एक-दूसरे को राखी बांधते हैं और कई जगहों पर महिलाएं सैनिकों, पुलिसकर्मियों या डॉक्टरों को भी राखी बांधकर उनकी सेवा के लिए आभार जताती हैं।
वहीं कई परिवारों में भाई भी बहनों को राखी बांधते हैं, यह संदेश देने के लिए कि सुरक्षा केवल पुरुषों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक साझा सामाजिक कर्तव्य है। मतलब साफ है राखी का उद्देश्य केवल परंपरा निभाना नहीं बल्कि प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का संकल्प दोहराना है।
बहन का विशेष अधिकार या साझा परंपरा?
हालांकि, बहनों को राखी बांधने का विशेष अवसर और महत्व मिला है, लेकिन यह अधिकार किसी के लिए बंद नहीं होना चाहिए। रक्षाबंधन समता और संबंधों के सम्मान का त्योहार है। आज की पीढ़ी इस परंपरा को नए रूप में अपना रही है, जहां लिंग, उम्र या रिश्ते की सीमा नहीं है।