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झारखंड: विनय चौबे समेत 2 वरिष्ठ आईएएस अफसरों को जेल, जानिए क्या है पूरा मामला

शराब घोटाला केस में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने झारखंड कैडर के दो वरिष्ठ आईएएस अफसरों पर बड़ी कार्रवाई की है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खब़र
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झारखंड: विनय चौबे समेत 2 वरिष्ठ आईएएस अफसरों को जेल, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली: शराब घोटाला केस में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने झारखंड कैडर के दो वरिष्ठ आईएएस अफसरों पर बड़ी कार्रवाई की है। ब्यूरो की टीम ने वरिष्ठ आईएएस विनय चौबे के साथ ही संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को आज गिरफ्तार कर लिया है। आईएएस विनय चौबे पर झारखंड सरकार के उत्पाद सचिव रहते अनियमितता के गंभीर आरोप हैं। इसी पर एसीबी की ओर से जांच की जा रही थी। दो सीनियर आईएएस अफसरों की गिरफ्तारी से झारखंड की प्रशासनिक मशीनरी में खलबली मच गई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इसी मामले में वर्तमान संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को भी पूछताछ के लिए एसीबी ने बुलाया था। पूछताछ के बाद दोनों को एक साथ ही गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बाद आईएएस विनय चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र कुमार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे को तीन जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

1999 बैच के IAS हैं विनय चौबे

झारखंड के वरिष्ठ आईएएस विनय चौबे इन दिनों सुर्खियों में हैं। झारखंड आबकारी घोटाले में गिरफ्तार विनय चौबे झारखंड कैडर के 1999 बैच के अफसर हैं। वह मूलत: झारखंड के ही रहने वाले भी हैं। विनय चौबे को 3 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। वर्तमान में चौबे झारखंड पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिव पद पर थे। इससे पहले वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सचिव और आबकारी विभाग के सचिव भी रहे थे। उन पर साल 2022 की आबकारी नीति के तहत शराब सिंडीकेट को अनुचित लाभ पहुंचाने का गंभीर आरोप है।

पहले इंजीनियर फिर बने IAS अफसर

विनय चौबे की स्कूलिंग दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) और बोकारो स्टील सिटी से हुई है। चौबे ने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS), पिलानी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा पास की और आईएएस अधिकारी बने थे।

मुख्य सचिव पद से दिया था इस्तीफा

वरिष्ठ आईएएस विनय चौबे झारखंड में कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर रह चुके हैं। हेमंत सोरेन के इस्तीफे के एक दिन बाद ही उन्होंने भी मुख्य सचिव के अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन कुछ समय बाद उन्हें दोबारा बहाल कर दिया गया था। बता दें कि इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाले की जांच के तहत विगत वर्ष अक्टूबर में चौबे और आबकारी विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह से जुड़े स्थानों पर छापेमारी की थी।

एसीबी आबकारी विभाग के सचिव के रूप में चौबे के कार्यकाल के दौरान आबकारी नीति में हुई अनियमितताओं के आरोपों की जांच कर रही है। विनय चौबे की गिरफ्तारी से पहले हेमंत सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा (FIR) दर्ज करने की अनुमति दी थी। उसके बाद यह कार्रवाई हुई है।

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