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Russia-Ukraine War: युद्ध में भारत का नाम क्यों आया चर्चा में? जानें क्या है ड्रोन विवाद

यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस द्वारा उसके खिलाफ किए जा रहे ड्रोन हमलों में इस्तेमाल हो रहे कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भारत में बने हैं। इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि भारत के निर्यात नीतियां अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं और सभी ज़रूरी सतर्कताएं बरती जाती हैं।
Post Published By: Sapna Srivastava
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Russia-Ukraine War: युद्ध में भारत का नाम क्यों आया चर्चा में? जानें क्या है ड्रोन विवाद

New Delhi: रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से जारी युद्ध में एक नया मोड़ उस समय आया जब यूक्रेन ने दावा किया कि रूस द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे घातक ड्रोन “शाहिद-136” में भारत में बने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे हैं। यूक्रेन की सरकार ने यह मामला न केवल भारत सरकार, बल्कि यूरोपीय यूनियन के सामने भी उठाया है।

‘द डेली गार्जियन’ की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि ईरान में बने शाहिद-136 ड्रोन में जो तकनीकी पुर्जे लगाए गए हैं, उनमें कुछ पार्ट्स भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए गए हैं। इस ड्रोन का रूस बड़े पैमाने पर उपयोग कर रहा है और जुलाई महीने में ही 6,100 से अधिक ऐसे ड्रोन यूक्रेन के खिलाफ लॉन्च किए गए।

ड्रोन में भारतीय पार्ट्स का दावा

रिपोर्ट के अनुसार, इन ड्रोन में उपयोग किए गए वोल्टेज रेगुलेटर को भारत की कंपनी विशय इंटरटेक्नोलॉजी द्वारा असेंबल किया गया है। इसके अलावा बेंगलुरु की एक अन्य कंपनी ने सिग्नल जनरेटर चिप तैयार की है, जिसका उपयोग ड्रोन के सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम को जामिंग से सुरक्षित रखने में होता है। यूक्रेन का आरोप है कि इन उपकरणों की मदद से रूस को युद्ध में तकनीकी बढ़त मिल रही है।

विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

इस गंभीर आरोप पर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी प्रतिक्रिया दी है। प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि “भारत का दोहरे उपयोग वाले सामानों का निर्यात उसके अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और कानूनों के अनुसार ही होता है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहते हैं कि कोई भी निर्यात हमारे कानूनों का उल्लंघन न करे।”

सरकार ने यह भी साफ किया कि यदि किसी भारतीय कंपनी ने अनजाने में ऐसे उपकरण बनाए हैं जो बाद में सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल हुए, तो इसकी जांच की जा सकती है। हालांकि फिलहाल इन कंपनियों पर किसी तरह के नियम उल्लंघन का आरोप नहीं है और न ही कंपनियों की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है।

मुद्दे का महत्व

इस घटनाक्रम से यह सवाल खड़ा हो गया है कि वैश्विक संघर्षों में दोहरे उपयोग वाली तकनीकों की भूमिका कितनी संवेदनशील हो सकती है। युद्ध के लिए इस्तेमाल हो रहे उपकरणों की आपूर्ति भले ही नागरिक उपयोग के इरादे से की गई हो, लेकिन उनकी वास्तविक उपयोगिता के पीछे की जिम्मेदारी तय करना एक कठिन मुद्दा बन जाता है।

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