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ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन की ओर झुका पाक: चीन के सैन्य परिसर में पहुंचे जरदारी, J-20 और ड्रोन तकनीक की ली जानकारी

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने चीन के गुप्त सैन्य परिसर का दौरा कर रक्षा सहयोग को नई दिशा दी। J-20 और UAVs जैसी तकनीकों से परिचित कराए गए जरदारी की यह यात्रा ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन पर बढ़ती सैन्य निर्भरता को दर्शाती है।
Post Published By: Asmita Patel
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन की ओर झुका पाक: चीन के सैन्य परिसर में पहुंचे जरदारी, J-20 और ड्रोन तकनीक की ली जानकारी

Beijing/Islamabad: पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की चीन यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। 10 दिवसीय दौरे पर चीन पहुंचे जरदारी ने वहां के एक अत्याधुनिक और गोपनीय सैन्य परिसर का दौरा किया, जो अब तक किसी भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के लिए वर्जित रहा है। इस तरह वह चीन के इस सैन्य परिसर का दौरा करने वाले पहले विदेशी नेता बन गए हैं।

पाकिस्तानी मीडिया और राष्ट्रपति कार्यालय की रिपोर्टों के अनुसार, 14 सितंबर को जरदारी ने एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना (AVIC) का दौरा किया। यहां उन्हें चीन के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों, ड्रोन सिस्टम्स, ऑटोमेटेड सैन्य यूनिट्स और आधुनिक कमांड-एंड-कंट्रोल इन्फ्रास्ट्रक्चर की तकनीकी जानकारी दी गई।

JF-17, J-10 और J-20

• JF-17 थंडर: जो पाकिस्तान और चीन के साझा सहयोग से बनाया गया है।
• J-10: जिसे पाकिस्तान अपनी वायु सेना में शामिल कर चुका है।
• J-20: चीन का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान, जिसे अब तक बेहद गोपनीय रखा गया था।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद की कूटनीति

जरदारी की इस यात्रा को सीधे तौर पर भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर से जोड़ा जा रहा है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के बाद भारत ने 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” लॉन्च किया था। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर और ग्राउंड स्ट्राइक्स की थीं।

चीन की रणनीति

हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय ने जरदारी की इस यात्रा को उतनी प्रमुखता नहीं दी, जितनी पाकिस्तान ने दी है। चीन इस समय अपने ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (GSI) को प्राथमिकता दे रहा है, जिसे अमेरिका के प्रभाव की काट के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। चीन चाहता है कि उसकी रक्षा तकनीक और सुरक्षा ढांचा क्षेत्रीय सहयोगियों के माध्यम से एशिया में प्रभाव स्थापित करे। पाकिस्तान इसमें उसका पुराना साझेदार रहा है।

कूटनीतिक और सैन्य संकेत

1. पाकिस्तान, ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुए नुकसान की भरपाई के लिए चीन पर निर्भरता बढ़ा रहा है।
2. चीन, भारत के बढ़ते सैन्य प्रभाव को बैलेंस करने के लिए पाकिस्तान को हथियारों और तकनीक से सशक्त कर रहा है।
3. दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन फिर से परिभाषित हो रहा है, जिसमें चीन की सक्रियता नई चुनौतियां उत्पन्न कर सकती है।

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