US-Iran tension: ईरान की परमाणु साइट पर फिर मंडरा रहा खतरा, जानिए क्या है वजह

22 जून को अमेरिकी हमले में ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स पर बमबारी की गई, लेकिन अब खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्फहान न्यूक्लियर फैसिलिटी में समृद्ध यूरेनियम अब भी मौजूद है। इजराइल की नजरें अब इस ठिकाने पर टिक गई हैं और अगला हमला कभी भी हो सकता है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 11 July 2025, 2:48 PM IST
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New Delhi: 22 जून को अमेरिका ने ईरान की तीन सबसे अहम परमाणु ठिकानों  इस्फहान, फोर्दो और नतांज पर ऑपरेशन ‘मिडनाइट हैमर’ के तहत एक बड़ा सैन्य हमला किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने दावा किया था कि यह हमला पूरी तरह सफल रहा और इन साइट्स को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। लेकिन अब सामने आई इजराइल और अमेरिकी एजेंसियों की ताज़ा खुफिया रिपोर्ट्स इस दावे पर सवाल खड़े कर रही हैं।

रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ईरान की इस्फहान न्यूक्लियर फैसिलिटी में यूरेनियम का बड़ा हिस्सा अब भी सुरक्षित है। अगर ईरान उस समृद्ध यूरेनियम को दोबारा निकालने की कोशिश करता है, तो इजराइल का अगला निशाना तय है: इस्फहान। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में इजराइल इस पर बड़ा कदम उठा सकता है।

इस्फहान क्यों है इजराइल के रडार पर?

इजराइली खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि इस्फहान के गहराई में स्थित हिस्सों में अब भी महत्वपूर्ण मात्रा में समृद्ध यूरेनियम मौजूद है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हालांकि यूरेनियम को निकालना कठिन है, लेकिन यह असंभव नहीं है। यही आशंका इजराइल को सतर्क कर रही है, जिससे यह ठिकाना संभावित रूप से सबसे पहले निशाने पर आ सकता है।

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर: क्या हुआ था 22 जून को?

इस बड़े हमले में अमेरिका ने नतांज और फोर्दो पर बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से हमला किया, जबकि इस्फहान पर अमेरिकी पनडुब्बी से टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलें दागी गईं। हालांकि, अब तक अमेरिकी रक्षा विभाग ने यह नहीं बताया है कि मिसाइलें कितनी गहराई तक पहुंचीं और यूरेनियम स्टॉक को कितनी क्षति पहुंची।

ईरान की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण पर अड़चन

ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने अमेरिकी पत्रकार टकर कार्लसन को दिए एक इंटरव्यू में माना कि इन हमलों से भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि अभी ईरानी अधिकारी इन साइट्स तक पहुंच नहीं पाए हैं। हालांकि, उन्होंने IAEA (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी) से दोबारा सहयोग की इच्छा जताई है, लेकिन यह भी कहा कि फिलहाल परमाणु ठिकानों की जांच की अनुमति नहीं दी जा सकती।

इजराइल: हमला या बातचीत?

इजराइल इस वक्त दो रास्तों पर चल रहा है एक ओर सैन्य तैयारी, दूसरी ओर बैकडोर डिप्लोमेसी। मगर खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर ईरान ने यूरेनियम की रिकवरी की कोई कोशिश की, तो इजराइल का अगला हमला लगभग तय है। इस बार इस्फहान सबसे पहले निशाने पर होगा।

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