

यूरोपीय परिषद ने यूरोपीय आयोग द्वारा घोषित भारत-यूरोपीय संघ एजेंडा को मंजूरी दे दी है। परिषद ने दोनों पक्षों से साल के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने की उम्मीद जताई। इस कदम से भारत-ईयू साझेदारी में नया आयाम जुड़ने की संभावना है।
भारत-यूरोप संबंध हुए मजबूत
New Delhi: यूरोपीय परिषद ने सोमवार (20 अक्टूबर 2025) को यूरोपीय आयोग द्वारा तैयार किए गए भारत-यूरोपीय संघ के नए रणनीतिक एजेंडा को मंजूरी दे दी। यह एजेंडा भारत और ईयू के बीच आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा संबंधों को नई मजबूती देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। परिषद ने दोनों पक्षों के बीच सहयोग को "दीर्घकालिक और संतुलित साझेदारी" की दिशा में एक अहम कदम बताया।
इस निर्णय को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक झटका माना जा रहा है, जो हाल के महीनों में भारत पर व्यापारिक दबाव बढ़ाने के लिए टैरिफ नीति का सहारा ले रहे हैं।
बेल्जियम स्थित यूरोपीय परिषद, जो 27 सदस्यीय आर्थिक समूह की नीतियों और दिशा निर्धारित करती है, ने भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर तेजी से काम पूरा करने पर बल दिया है। परिषद ने कहा कि दोनों पक्ष साल के अंत तक इस समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में सक्रिय प्रयास कर रहे हैं।
यूरोप ने भारत के पक्ष में उठाया कदम
परिषद के बयान में कहा गया है, 'एक संतुलित, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौता आवश्यक है, जो बाजार तक पहुंच बढ़ाए, व्यापार बाधाओं को कम करे और सतत विकास को प्रोत्साहित करे।' यह समझौता दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए रोजगार, निवेश और तकनीकी सहयोग के नए अवसर खोलेगा।
यूरोपीय परिषद ने भारत और यूरोपीय संघ के बीच सुरक्षा, रक्षा और तकनीकी नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने की आवश्यकता बताई। परिषद ने कहा कि आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित साझेदारी आज के तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल में बेहद अहम है।
परिषद के अनुसार, रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक सहयोग को भी इस साझेदारी का हिस्सा बनाया जा सकता है। यह सहयोग न केवल यूरोपीय क्षेत्र बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी सकारात्मक माना जा रहा है।
परिषद ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख का उल्लेख करते हुए कहा कि यूरोपीय संघ इस मुद्दे पर भारत के साथ निरंतर बातचीत जारी रखेगा। बयान में कहा गया, 'परिषद सुरक्षा और रक्षा साझेदारी की स्थापना की दिशा में काम करने की मंशा पर ध्यान केंद्रित करती है, जो रक्षा औद्योगिक सहयोग में भी सहायक बन सकती है।' ईयू का मानना है कि भारत जैसे वैश्विक खिलाड़ी का इस क्षेत्र में संतुलित दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए अहम है।