New Delhi: मानसून का मौसम अपने साथ सुकून और राहत तो लाता है, लेकिन यह मौसम बीमारियों की भी सौगात लाता है। बारिश और उमस के कारण वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे बैक्टीरिया और फंगस पनपने लगते हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक, मानसून के दौरान होने वाले अधिकांश संक्रमण का स्रोत असुरक्षित खानपान होता है- खासकर स्ट्रीट फूड।
FSSAI और ICMR का डेटा क्या कहता है?
FSSAI की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, मानसून के दौरान सड़क किनारे बिकने वाले खाने के 38% नमूने हाइजीन स्टैंडर्ड्स पर खरे नहीं उतरे। वहीं, ICMR द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जुलाई से सितंबर के बीच गैस्ट्रोएंटेराइटिस, फूड पॉइज़निंग और हेपेटाइटिस A व E के मामले साल के अन्य महीनों की तुलना में औसतन 2.3 गुना बढ़ जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के पानी से सड़क किनारे का खाना आसानी से दूषित हो सकता है। खुले में रखे पकवानों पर बैक्टीरिया, वायरस और फंगस तेजी से हमला करते हैं। इसके अलावा, इन विक्रेताओं के पास न तो साफ पानी होता है और न ही उचित किचन हाइजीन की सुविधा।
मानसून में क्यों कमजोर होता है पाचन तंत्र?
ICMR के सहयोग से एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, मानसून के समय शरीर की मेटाबॉलिक रेट यानी चयापचय की दर कम हो जाती है। इससे पाचन तंत्र धीमा पड़ जाता है और पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे अपच, गैस, एसिडिटी और दस्त जैसी समस्याएं सामान्य हो जाती हैं। इसके अलावा, इस मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) भी घट जाती है। जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है- खासकर तब जब हम दूषित या भारी खाना खाते हैं।
क्या खाएं, क्या न खाएं
मानसून में खाने की आदतों में थोड़े से बदलाव से आप खुद को और अपने परिवार को बीमारियों से बचा सकते हैं। यहां विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए कुछ सुझाव दिए गए हैं-
क्या खाएं
उबला हुआ पानी: रोज़ाना कम से कम 8-10 गिलास साफ, उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं।
हल्का और पचने में आसान खाना: खिचड़ी, दालिया, उबली हुई सब्ज़ियां और सूप।
प्रोबायोटिक फूड्स: दही और छाछ जैसी चीजें पाचन में मदद करती हैं।
मसाले जैसे अदरक, हल्दी और तुलसी: ये इम्यूनिटी बढ़ाते हैं और इंफेक्शन से बचाते हैं।
फलों में खाएं- केला, पपीता और सेब: लेकिन इन्हें अच्छी तरह धोकर ही खाएं।
क्या न खाएं
कटे फल, सलाद जो खुले में बिकते हैं- इनसे फूड पॉइज़निंग का खतरा रहता है।
स्ट्रीट फूड जैसे पकोड़े, चाट, गोलगप्पे- इनमें इस्तेमाल होने वाला पानी और तेल कई बार दूषित होता है।
सी-फूड और नॉन-वेज- मानसून में मछलियों में बैक्टीरिया पनपने की संभावना बढ़ जाती है।
हरे पत्तेदार सब्ज़ियां- इनमें कीड़े और फंगस पाए जा सकते हैं; अगर खाएं तो अच्छी तरह पकाकर ही।
बासी और फ्रिज में रखे खाने से परहेज करें- नमी के कारण फंगस जल्दी लगती है।
मानसून का आनंद तभी है जब स्वास्थ्य बना रहे। मौसम के बदलाव के साथ हमारी खानपान की आदतों में भी बदलाव जरूरी है। स्ट्रीट फूड का स्वाद भले ही लुभावना हो, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही आपको अस्पताल तक पहुंचा सकती है। ICMR और FSSAI जैसी संस्थाओं की चेतावनियों को गंभीरता से लें और खाने-पीने में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।