

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नामांकन के आखिरी दिन राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बड़ी घोषणा करते हुए अपने 143 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इस सूची ने पार्टी के भीतर हलचल मचा दी है, क्योंकि आरजेडी ने इस बार 36 सिटिंग विधायकों के टिकट काट दिए हैं।
तेज प्रताप की सीट पर नया चेहरा (फोटो सोर्स गूगल)
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नामांकन के आखिरी दिन राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बड़ी घोषणा करते हुए अपने 143 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इस सूची ने पार्टी के भीतर हलचल मचा दी है, क्योंकि आरजेडी ने इस बार 36 सिटिंग विधायकों के टिकट काट दिए हैं। वहीं, 41 मौजूदा विधायकों पर दोबारा भरोसा जताते हुए उन्हें फिर से मैदान में उतारा गया है।
इस सूची में सबसे चौंकाने वाला फैसला तेज प्रताप यादव को टिकट न देना रहा। उनकी पारंपरिक सीट पर पार्टी ने माला पुष्पम को उम्मीदवार बनाया है। यह बदलाव राजद के शीर्ष नेतृत्व की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें युवा और नए चेहरों को प्राथमिकता दी जा रही है।
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जहानाबाद से सिटिंग विधायक सुदय यादव को इस बार कुर्था सीट से मैदान में उतारा गया है। वहीं, दिनारा सीट से विधायक का टिकट काटकर युवा प्रदेश अध्यक्ष राजेश यादव को टिकट दिया गया है। धौरेया से विधायक भूदेव चौधरी का टिकट भी काटा गया है।
रघुनाथपुर सीट से विधायक हरिशंकर यादव की जगह बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को उम्मीदवार बनाया गया है, जो कि राजद का शक्ति प्रदर्शन माने जाने वाले क्षेत्रों में एक बड़ा संदेश है।
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सूची में उन विधायकों को भी बाहर कर दिया गया है, जिन्होंने हाल के फ्लोर टेस्ट के दौरान महागठबंधन से अलग होकर NDA का साथ दिया था। इनमें चेतन आनंद, नीलम देवी, प्रहलाद यादव, विभा देवी, संगीता देवी और प्रकाश वीर शामिल हैं। यह कदम पार्टी की "बगावत के खिलाफ सख्ती" की नीति को दर्शाता है।
AIMIM छोड़कर हाल में RJD में शामिल हुए चार विधायकों में से केवल जोकीहाट विधायक शाहनवाज आलम को टिकट दिया गया है। वे पार्टी के वरिष्ठ नेता तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं। अन्य तीन विधायक — कोचाधामन के मोहम्मद इज़हार अस्फी, बायसी के रुकानुद्दीन अहमद और बहादुरगंज के अंज़ार नईमी को टिकट नहीं मिला।
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इस बार की सूची से साफ है कि आरजेडी नेतृत्व चुनाव में युवा, साफ छवि और पार्टी के प्रति निष्ठावान चेहरों को प्राथमिकता दे रहा है। टिकट वितरण में बड़े फेरबदल ने कई पुराने चेहरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिससे टिकट न पाने वाले कई नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरजेडी इस बार छवि सुधार और विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए चुनावी रणनीति बना रही है।