Maharajganj: जिले के परसामालिक थाना क्षेत्र से एक दर्दनाक और रहस्यमय मामला सामने आया है। यहां एक पत्नी अपने दो मासूम बच्चों के साथ पांच दिनों से लापता है। पीछे रह गए हैं सिर्फ उनके पिता मेवालाल तिवारी, जो पिछले चार दिनों से भूखे-प्यासे अपनी पत्नी और बच्चों की तलाश में भटक रहे हैं।
दीपावली के अगले दिन हुई गायब
सूत्रों के मुताबिक, दीपावली के अगले दिन यानी पांच दिन पहले पत्नी किरन तिवारी अचानक अपने दोनों बच्चों तीन साल के मनोव और दो साल के आयुष को लेकर घर से चली गई। घर पर उस समय उसकी सास मौजूद थीं। किरन ने उन्हें दूध लाने का बहाना बनाकर बाहर भेजा और जब तक वह लौटीं, किरन और दोनों बच्चे घर से गायब हो चुके थे। परिवार को पहले लगा कि शायद वह मायके गई होंगी, लेकिन जब रिश्तेदारों और ससुराल में पता किया गया, तो कोई जानकारी नहीं मिली।
भव्य “महराजगंज महोत्सव” की तैयारी चरम पर, एडीएम और एएसपी ने लिया जायजा, जानें इस बार की खास बातें
चार दिनों से बच्चों की याद में तड़प रहा पिता
पीड़ित पिता मेवालाल तिवारी ने बताया कि पत्नी और बच्चों के लापता होने के बाद से वह कुछ भी नहीं खा पा रहे। उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी चाहे जहां भी है, बस मेरे बच्चे मुझे मिल जाएं। मैं अब खाना नहीं खा पाता, नींद नहीं आती। उनके खिलौने देखकर भी दिल टूट जाता है। मेवालाल बच्चों की तस्वीर लेकर रोज थाने और आसपास के गांवों में घूम रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं लगा।
सात साल पहले की थी लव मैरिज
मेवालाल और किरन की कहानी सात साल पहले शुरू हुई थी। दोनों के बीच प्रेम संबंध बने और उन्होंने लव मैरिज कर ली। दोनों परिवारों की रजामंदी से विवाह हुआ और शादी के बाद सबकुछ सामान्य था। दोनों के घर दो प्यारे बच्चे हुए मनोव और आयुष। मेवालाल मजदूरी करने परदेस कमाने चला गया ताकि परिवार को बेहतर जीवन दे सके। लेकिन दीपावली के बाद किरन के अचानक गायब होने से वह टूट गया है।
थाने में दर्ज हुई गुमशुदगी
जब कई दिनों की खोजबीन के बाद भी पत्नी और बच्चों का कोई पता नहीं चला, तो थक-हारकर मेवालाल ने स्थानीय परसामालिक थाने में तहरीर दी। पुलिस ने महिला और दोनों बच्चों की गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
“बस मेरे बच्चे लौट आएं”
बच्चों की याद में टूट चुके मेवालाल ने कहा कि मुझे अब सिर्फ अपने बच्चों की मुस्कान चाहिए। पत्नी चाहे जहां हो, पर मेरे बच्चे मुझे मिल जाएं, यही मेरी सबसे बड़ी दुआ है। उनकी आंखों में आंसू और चेहरे पर थकावट साफ झलक रही थी एक ऐसे पिता की जो उम्मीद और दर्द के बीच संघर्ष कर रहा है।

