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लाल किले के पास हुई i20 कार विस्फोट में कई जिंदगियाँ खत्म हुईं और शुरुआती जाँच RDX जैसी उच्च-शक्ति विस्फोटक सामग्री के इस्तेमाल की ओर इशारा कर रही है। जांच में फोरेंसिक, एनआईए और एनएसजी की टीमें सक्रिय हैं और पूरे क्षेत्र में सुरक्षा कड़ा कर दी गई है।
IED बनाम RDX
New Delhi: दिल्ली के लाल किले के पास रेड-लाइट पर रुकी हुई हुंडई i20 कार में हुए जोरदार विस्फोट ने सोमवार शाम राजधानी में भारी दहशत पैदा कर दी। विस्फोट में अब तक कई लोगों की जान गई और दर्जनों घायल हैं; आसपास खड़ी गाड़ियाँ व दुकानें क्षतिग्रस्त हुईं। प्रारंभिक रिपोर्ट्स में यह संकेत मिला है कि विस्फोटक सामग्री के रूप में हाई-कैलिबर कंपोनेंट जैसे अमोनियम नाइट्रेट के साथ मिलाकर प्रयुक्त कोई शक्तिशाली मेन हाई-एक्सप्लोसिव इस्तेमाल किया गया था; कुछ शुरुआती दावों में RDX का भी नाम आ रहा है।
IED यानी Improvised Explosive Device एक ऐसा देसी या असम्प्रदायिक उपकरण है जिसे पारंपरिक विस्फोटकों, मोबाइल-ट्रिगर, टाइमर या किसी भी उपलब्ध कंटेनर में तैयार किया जा सकता है। IEDs का निर्माण अलग-अलग उद्देश्यों और परिस्थितियों के अनुसार किया जाता है; वे आकार, रूप और शक्ति में भिन्न होते हैं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि IED की भयावहता इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें किस प्रकार का विस्फोटक इस्तेमाल हुआ है और उसे किस तरह से शेलिंग/फ्रैगमेंटेशन (कांच, धातु टुकड़े आदि) के साथ तैयार किया गया है।
RDX (Research Department eXplosive/Royal Demolition eXplosive) एक पारंपरिक, उच्च-शक्ति वाला सैन्य-ग्रेड विस्फोटक है जिसे युद्धकालीन और औद्योगिक उपयोगों में जाना जाता है। यह TNT की तुलनामूलक क्षमता से अधिक शक्तिशाली माना जाता है और इसलिए सीमित मात्रा में भी बड़े विनाश का कारण बन सकता है। RDX का उपयोग नियंत्रित सैन्य और औद्योगिक परिस्थितियों में किया जाता है; गैरकानूनी रूप से इसका इस्तेमाल गंभीर सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा कर सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि RDX-सम्बंधी विवरण और व्यावहारिक निर्देश सार्वजनिक रूप से साझा करना खतरनाक है और सुरक्षा कारणों से अनुशंसित नहीं है।
अमोनियम नाइट्रेट एक व्यापक रूप से उपलब्ध रासायनिक उर्वरक है जो कुछ परिस्थितियों में विस्फोटक गुण दिखा सकता है; वहीं RDX एक अधिक सुसंगठित, सैन्य-ग्रेड विस्फोटक है। सामान्य तौर पर कहा जा सकता है कि समान मात्रा में RDX का प्रभाव अधिक तीव्र होगा, जबकि अमोनियम नाइट्रेट आधारित मिश्रणों का जोखिम निर्भर करता है उनकी संवेदनशीलता और सेट-अप पर। विश्लेषणात्मक रिपोर्टों में इन भिन्नताओं का हवाला दिया जाता है, परंतु तकनीकी या व्यावहारिक निर्देश देना सुरक्षा कारणों से मान्य नहीं है।
जांच एजेंसियाँ डीपी, एनआईए, एनएसजी, फोरेंसिक टीमें और खुफिया तंत्र सीसीटीवी फुटेज, मलबे के सैंपल, वाहन के हिस्से और डाटा-ट्रिगर तत्वों की पड़ताल कर रही हैं। फोरेंसिक लैब विस्फोटक अवशेषों की रसायनशास्त्रीय जाँच कर के यह निर्धारित करने की कोशिश करती हैं कि विस्फोटक किस प्रकार का था और उसकी संभावित उत्पत्ति क्या हो सकती है। साथ ही सीलिंग, ट्रांज़ैक्शन, मोबाइल-ट्रिगर लॉग और स्थानीय संदिग्ध गतिविधियों पर भी पूछताछ जारी है।
ऐसी घटनाएँ यह स्पष्ट करती हैं कि भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थल, मेट्रो स्टेशन, बाजार और रेड-लाइट जंक्शन संवेदनशील रहते हैं। पुलिस व प्रशासन ने राज्यों और महानगरों में हाई-अलर्ट जारी कर, चेक-पोस्ट सक्रिय किए और संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा बढ़ाई है। नागरिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे संदिग्ध वस्तुओं या व्यक्ति के बारे में तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचित करें और अफवाहों को सोशल-मीडिया पर बिना प्रमाण साझा न करें, ताकि अप्रभावित सूचनाओं से जांच प्रभावित न हो।
हर विस्फोट के पीछे व्यक्तिगत त्रासदी छिपी होती है, नौजवानों के सपने, मजदूरों की रोज़ी और परिवारों के टूटने की खबरें। मृतकों और घायल लोगों के परिजन सहायता, न्याय और इलाज की मांग करते हैं। प्रशासन द्वारा राहत पैकेज तथा मेडिकल सहायता की घोषणाएँ होती हैं, पर लंबी अवधि में सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा और पीड़ितों के पुनर्वास पर भी ध्यान देना जरूरी है।