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लखनऊ की लेडी आतंकी डॉ. शाहीन सईद ने दिल्ली बम ब्लास्ट से 46 दिन पहले फरीदाबाद से 10 लाख की नई ब्रेजा खरीदी थी। इसी कार और उसके नेटवर्क के माध्यम से आतंकियों ने टेरर मॉड्यूल चलाया। ATS-IB की UP में लगातार छापेमारी जारी है।
लेडी आतंकी डॉ. शाहीन सईद
New Delhi: दिल्ली ब्लास्ट की जांच में सुरक्षा एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला है। ब्लास्ट से 46 दिन पहले लखनऊ की लेडी आतंकी डॉ. शाहीन सईद ने अपने बॉयफ्रेंड आतंकी मुजम्मिल शकील के साथ फरीदाबाद की एक एजेंसी से 10 लाख रुपए की नई ब्रेजा कार खरीदी थी। 25 सितंबर को कार खरीदने के बाद दोनों ने शोरूम में मिठाई बांटी थी। एजेंसी स्टाफ के साथ उनकी तस्वीरें अब पहली बार सामने आई हैं। तस्वीरों में शाहीन हिजाब और नकाब में दिखाई दे रही है, जबकि मुजम्मिल लोअर और टी-शर्ट पहने है।
कार शाहीन के नाम पर पंजीकृत कराई गई थी और इसके लिए उसने फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी का पता दिया। जांच एजेंसियों के अनुसार दिल्ली ब्लास्ट के तीन दिन बाद यह कार यूनिवर्सिटी पार्किंग में खड़ी मिली, जिसके बाद इसे जब्त कर लिया गया। यह वही मुजम्मिल है, जिसके पास से फरीदाबाद में विस्फोटक बरामद किया गया था।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी से इसी कार को पुलिस ने जब्त किया
अब तक एजेंसियां दिल्ली ब्लास्ट के संबंध में उत्तर प्रदेश से 5 डॉक्टरों को उठाकर पूछताछ कर चुकी हैं। सबसे पहले सहारनपुर के डॉ. अदील को पकड़ा गया। इसके बाद लखनऊ की रहने वाली डॉ. शाहीन सईद और उसके भाई परवेज को ATS ने गिरफ्तार किया। कानपुर के हृदय रोग संस्थान के डॉ. आरिफ को हिरासत में लिया गया और हापुड़ के जीएस मेडिकल कॉलेज के डॉ. फारूख से पूछताछ कर बाद में छोड़ दिया गया।
ब्लास्ट के बाद उत्तर प्रदेश में खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। सिर्फ 48 घंटों में ATS, IB और पुलिस ने सहारनपुर में कई ठिकानों पर छापे मारे हैं। मेडिकल कॉलेज, मदरसों और किराए के मकानों में रह रहे बाहरी छात्रों की जानकारी जुटाई जा रही है। उनकी कॉल रिकॉर्ड, सोशल मीडिया गतिविधियां और संपर्कों की गहन जांच हो रही है। देवबंद में पुलिस ने बड़े पैमाने पर किराएदार सत्यापन अभियान चलाया। 100 से ज्यादा मकानों पर जाकर किराएदारों के दस्तावेज, मोबाइल नंबर और आने-जाने की जानकारी जुटाई गई।
डॉ. शाहीन सईद अपने बॉयफ्रेंड आतंकी मुजम्मिल शकील के साथ फरीदाबाद से नई ब्रेजा कार खरीदते हुए
सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगी डॉ. अदील की डायरी इस पूरे नेटवर्क की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो रही है। डायरी में 25 मोबाइल नंबर हैं, जिनमें अधिकतर नंबर सहारनपुर और आसपास पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों के हैं। कुछ नंबरों के साथ कोडवर्ड और लोकेशन भी लिखी है। इससे संकेत मिलता है कि अदील पूरे नेटवर्क का मुख्य संचालक था। अदील के मदरसों, मेडिकल कॉलेज और दारुल उलूम में पढ़ने वाली कश्मीरी लड़कियों से संपर्क बनाने के इनपुट मिले हैं। एजेंसियों को संदेह है कि वह इन्हें हनी ट्रैप और स्लीपर सेल के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहा था। अदील अस्पताल में आने वाले मरीजों को भी फिदायीन हमले के लिए ब्रेनवॉश करता था। अफसरों के अनुसार, कानपुर, प्रयागराज, फैजाबाद, वाराणसी और लखनऊ इस नेटवर्क के प्रमुख टारगेट थे।
जांच में पता चला है कि डॉ. शाहीन दो साल तक संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में रही और वहीं से जैश की महिला विंग ‘जमात-उल-मोमिनात’ से जुड़ने के संकेत मिले हैं। वह 2016 से 2018 तक UAE में नौकरी करती थी। ब्लास्ट से दो महीने पहले शाहीन लखनऊ आई थी और अयोध्या भी गई थी। इसके अलावा उसने कानपुर के डिफेंस एरिया में रेकी भी की थी। इलाके में लगे कैमरों में उसकी गतिविधियां रिकॉर्ड हुई हैं। एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि शाहीन पिछले 10 वर्षों में किन-किन शहरों में गई, किनसे मिली और किनका ब्रेनवॉश किया।