New Delhi: अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में इस हफ्ते करीब 3% की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट लगातार नौ हफ्तों की रिकॉर्ड तेजी के बाद आई है। वैश्विक बाजार में सोने की कीमतें अब $4,118.68 प्रति औंस पर आ गई हैं, जो मई 2025 के बाद सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है। निवेशकों और ट्रेडर्स के बीच यह सवाल उठ रहा है कि आखिर सोने की यह तेज गिरावट क्यों आई और आने वाले दिनों में इसका रुख क्या रहेगा।
भारत में सोना और चांदी दोनों की कीमतों पर असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार के उतार-चढ़ाव का असर भारत के बुलियन मार्केट पर भी साफ दिखाई दे रहा है। MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर दिसंबर डिलीवरी वाला सोना 1% टूटकर ₹1,23,222 प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था, जबकि चांदी 1.5% गिरकर ₹1,46,365 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई।
हफ्ते की शुरुआत में ही सोने में 5% तक की गिरावट देखी गई, जो हाल के वर्षों में सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावटों में से एक रही। वहीं, चांदी की कीमतों में भी हफ्ते भर में 6% तक की कमी दर्ज की गई और यह $48.62 प्रति औंस पर बंद हुई।
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सोने की गिरावट के तीन बड़े कारण
प्रॉफिट बुकिंग (Profit Booking)
- कई सप्ताह तक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद निवेशकों ने अब मुनाफा वसूली शुरू कर दी है।
- गोल्ड-बैक्ड ETF (Exchange Traded Funds) में भारी आउटफ्लो देखने को मिला है।
- निवेशक अपने पोर्टफोलियो को संतुलित करने के लिए सोने की होल्डिंग्स घटा रहे हैं, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ा है।
मजबूत अमेरिकी डॉलर (Strong US Dollar)
- डॉलर इंडेक्स पिछले तीन सत्रों से लगातार मजबूत हो रहा है।
- जब डॉलर मजबूत होता है तो अन्य मुद्राओं में सोना खरीदना महंगा हो जाता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की मांग घट जाती है।
- KCM ट्रेड के चीफ एनालिस्ट टिम वॉटरर के अनुसार, “अमेरिका और चीन के बीच संभावित व्यापार वार्ता की उम्मीदों से डॉलर और अधिक मजबूत हुआ है, जिससे गोल्ड मार्केट पर दबाव बना।”
अमेरिका-चीन संबंधों में सुधार की उम्मीद (Trade Deal Expectations)
- अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड टेंशन कम होने की संभावनाओं ने निवेशकों को “सेफ हेवन” यानी सुरक्षित निवेश के रूप में सोना खरीदने से रोका है।
- सेफ हेवन डिमांड घटने का सीधा असर कीमतों पर पड़ा है।
आगे क्या? CPI और फेड की नीतियों पर टिकी निगाहें
अब बाजार की नजरें अमेरिकी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) डेटा पर हैं। अगर CPI 3.1% के स्तर पर स्थिर रहता है, तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इससे सोने की कीमतों को सपोर्ट मिल सकता है, क्योंकि ब्याज दरों में कमी से सोने में निवेश आकर्षक हो जाता है।
रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी का कहना है- “कमजोर इंटरनेशनल मार्केट सेंटीमेंट के कारण MCX दिसंबर गोल्ड की कीमतें ₹1,23,000 प्रति 10 ग्राम तक गिर सकती हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह फिर मजबूत हो सकता है।”
लंबे समय का नजरिया अभी भी पॉजिटिव
हालिया गिरावट के बावजूद, विशेषज्ञ सोने के दीर्घकालिक (long-term) भविष्य को लेकर सकारात्मक हैं।
J.P. Morgan की रिपोर्ट के मुताबिक, “2026 की चौथी तिमाही तक सोने की कीमतें $5,055 प्रति औंस तक जा सकती हैं और 2028 तक यह $8,000 प्रति औंस से ऊपर पहुंचने की संभावना है।”
प्रसिद्ध निवेशक रे डेलियो का कहना है कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और केंद्रीय बैंकों द्वारा बढ़ती गोल्ड खरीद के चलते सोने की मांग आगे भी बनी रहेगी।
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निवेशकों के लिए सलाह
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा गिरावट टेक्निकल करेक्शन है, न कि लंबे समय की कमजोरी। जो निवेशक दीर्घकालिक नजरिया रखते हैं, उनके लिए यह एक अच्छा एंट्री पॉइंट हो सकता है। शॉर्ट टर्म में अस्थिरता बनी रह सकती है, लेकिन आने वाले महीनों में सोना फिर मजबूती पकड़ सकता है।

