RBI ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करते हुए ब्याज दर को 5.25% कर दिया है। इससे होम लोन और कार लोन की EMI में कमी आएगी, जिससे करोड़ों कर्जदारों को राहत मिलेगी। खुदरा महंगाई में गिरावट और विकास दर में मजबूती के लिए फैसला लिया गया है।

नई रेपो रेट 5.25%
New Delhi: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को रेपो रेट में 25 आधार अंकों (0.25%) की कटौती का ऐलान किया। जिसके बाद नई दर 5.50% से घटकर 5.25% हो गई। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। इस फैसले को अर्थव्यवस्था की तेजी और खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट को देखते हुए आवश्यक बताया गया है।
पिछले कुछ महीनों में खुदरा महंगाई में तेजी से गिरावट आई है, जिससे भारत में आर्थिक स्थिरता को लेकर सकारात्मक माहौल बना है। विशेषज्ञों का कहना है कि विकास दर पिछले कई तिमाहियों से मजबूत बनी हुई है और आगे भी ऊंची रहने की संभावना है। आरबीआई ने फरवरी से जून तक तीन चरणों में कुल 1% की रेपो रेट कटौती की थी। अगस्त और अक्टूबर की बैठकों में दरों को स्थिर रखा गया था, लेकिन नवंबर में आई मुद्रास्फीति के ताजा आंकड़ों ने रेपो में कटौती की गुंजाइश को और बढ़ा दिया।
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रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती का सीधा असर बैंकों की ब्याज दरों पर होगा। इससे गृह ऋण (Home Loan), वाहन ऋण (Car Loan), पर्सनल लोन सहित कई कर्ज सस्ते हो जाएंगे। बैंक अब अपनी उधारी दरों (Lending Rates) को कम करेंगे, जिससे कर्जदारों की ईएमआई में राहत मिलना तय माना जा रहा है।
उदाहरण: 0.25% की कटौती से कितनी कम होगी EMI?
• पुरानी ब्याज दर: 8.50%
EMI = 43,391
• नई ब्याज दर: 8.25%
EMI = 42,603
मासिक बचत: 788
वार्षिक बचत: 9,456
• पुरानी ब्याज दर: 12%
EMI = 11,282
• नई ब्याज दर: 11.75%
EMI = 11,149
मासिक बचत: 133
वार्षिक बचत: 1,596
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महत्वपूर्ण बात यह है कि मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने इस कटौती पर एकमत राय रखी। गवर्नर ने कहा कि ग्रोथ को गति देने और कर्जदारों को राहत देने के लिए यह कदम आवश्यक था।
• महंगाई के और कम होने की संभावना
• निवेश बढ़ने की उम्मीद
• रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर में तेजी
• घरेलू मांग में सुधार
ज्यादातर बैंक RBI की नीतिगत दरों के बदलने के कुछ दिनों से लेकर 1 महीने के भीतर अपनी ब्याज दरें घटाते हैं। संभावना है कि दिसंबर के अंत तक सभी प्रमुख बैंक MCLR और Repo Linked Rates में कटौती कर दें।
• होम लोन लेने वालों को
• कार लोन व पर्सनल लोन उपभोक्ताओं को
• उद्योग जगत को
• रियल एस्टेट सेक्टर को
• पहली बार घर खरीदने वालों को