

आयकर विभाग ने साफ कर दिया है कि जिन लोगों को ऑडिट की आवश्यकता नहीं है, उनके लिए ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है। जानिए किन्हें रिटर्न भरना जरूरी है और किन्हें नहीं, साथ ही क्यों स्टूडेंट्स को भी ITR दाखिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
आयकर विभाग (Img: Google)
New Delhi: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। जिन व्यक्तियों और संस्थाओं को खातों का ऑडिट नहीं करवाना होता, उनके लिए ITR फाइल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 तय की गई है। यानी टैक्सपेयर्स के पास अब केवल कुछ ही हफ्ते बचे हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए आयकर विभाग ने टैक्सपेयर्स को SMS के जरिए रिमाइंडर भेजना शुरू कर दिया है। विभाग ने अपने संदेश में लिखा है कि अब तक 3 करोड़ से ज्यादा लोग ITR दाखिल कर चुके हैं और बाकी बचे टैक्सपेयर्स भी समय रहते रिटर्न फाइल और ई-वेरिफाई कर लें।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या 3 लाख रुपये सालाना सैलरी वालों को भी ITR भरना होगा। कर विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि टैक्सपेयर ने कौन-सी टैक्स रिजीम चुनी है। नई टैक्स रिजीम में मूल छूट सीमा 3 लाख रुपये है, जबकि पुरानी टैक्स व्यवस्था में यह सीमा 2.5 लाख रुपये रखी गई है।
आयकर रिटर्न 2024-25 (Img: Google)
नांगिया एंड कंपनी एलएलपी की एग्जीक्यटिव डायरेक्टर संजोली माहेश्वरी का कहना है कि यदि आपकी कुल आय इन छूट सीमाओं से अधिक है तो ITR दाखिल करना अनिवार्य है। वहीं, यदि आय इन सीमाओं से कम है तो ITR फाइल करना जरूरी नहीं है।
कई लोग यह मानते हैं कि ITR केवल नौकरीपेशा या बिजनेस करने वालों को ही फाइल करना होता है, जबकि यह पूरी तरह सही नहीं है। आज के समय में छात्रों और बेरोजगार युवाओं को भी ITR फाइल करने की सलाह दी जाती है, भले ही उनकी आय मूल छूट सीमा से कम हो।
दरअसल, ITR फाइल करने से वित्तीय रिकॉर्ड मजबूत होता है। इससे बैंक लोन, वीजा और बड़े फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के समय सुविधा मिलती है। इसके अलावा, अगर किसी छात्र को स्कॉलरशिप या पार्ट-टाइम जॉब से आय हो रही है तो भी वह ITR दाखिल कर सकता है। इससे न केवल रिफंड क्लेम करना आसान होता है बल्कि भविष्य में वित्तीय क्रेडिबिलिटी भी बनती है।
ITR फाइल करने से पहले जरूर करें AIS की जांच, आयकर विभाग की पढ़ें गाइडलाइन
समय पर ITR दाखिल करने से कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है। लेट फाइलिंग करने पर जुर्माना और ब्याज दोनों चुकाने पड़ सकते हैं। साथ ही समय रहते रिटर्न भरने पर टैक्स विभाग की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ भी उठाया जा सकता है।