New Delhi: भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों में लगभग 5.82 लाख करोड़ रुपये के खराब ऋणों को राइट ऑफ किया है। सरकार ने मंगलवार को संसद को इस संदर्भ में जानकारी दी। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि इस दौरान 2024-25 में सार्वजनिक बैंकों द्वारा राइट ऑफ की गई ऋण राशि 91,260 करोड़ रुपये रही, जबकि पिछले वर्ष यह राशि 1.15 लाख करोड़ रुपये थी। इस जानकारी से यह साफ होता है कि सार्वजनिक बैंकों के लिए खराब ऋणों का मुद्दा लगातार बढ़ रहा है, जबकि ये बैंकों द्वारा अपने निपटान के प्रयासों के बावजूद कम नहीं हो पा रहे हैं।
ऋण राइट ऑफ के आंकड़े
सरकार ने वर्ष 2020-21 में सबसे अधिक 1.33 लाख करोड़ रुपये की राशि राइट ऑफ की थी। इसके बाद यह आंकड़ा वर्ष 2021-22 में घटकर 1.16 लाख करोड़ रुपये और वर्ष 2022-23 में 1.27 लाख करोड़ रुपये हो गया। कुल मिलाकर, पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक बैंकों ने लगभग 5.82 लाख करोड़ रुपये के ऋणों को राइट ऑफ किया। इसके विपरीत, इन ऋणों की वसूली के प्रयास भी जारी हैं। पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक बैंकों ने 1.65 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है, जो राइट ऑफ की गई कुल राशि का लगभग 28 प्रतिशत है। इस प्रकार, यह दर्शाता है कि बैंकों ने ऋणों के राइट ऑफ करने के बावजूद, एक बड़ी राशि की वसूली भी की है।
राइट ऑफ का क्या मतलब है?
राइट ऑफ का मतलब है कि जब किसी उधारकर्ता द्वारा लिए गए ऋण को बैंक चुका नहीं पाता और ऋण की वसूली संभव नहीं होती, तो बैंक उस ऋण को अपने खाता-बही में राइट ऑफ कर देता है। यह बैंकों के लिए एक लेखा प्रक्रिया है, जिसमें चार वर्षों के बाद ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया जाता है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उधारकर्ता की देनदारी समाप्त हो जाती है। उधारकर्ता को फिर भी ऋण चुकता करने की जिम्मेदारी रहती है और बैंक इस ऋण के लिए वसूली की कार्रवाई जारी रखता है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि ऋण राइट ऑफ करने से उधारकर्ता को किसी प्रकार की छूट नहीं मिलती है और वसूली की कार्रवाई जैसे कि सिविल कोर्ट या ऋण वसूली न्यायाधिकरण के माध्यम से जारी रहती है। इस प्रक्रिया में दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।
ऋण वसूली की प्रक्रिया
राइट ऑफ किए गए ऋणों की वसूली एक निरंतर प्रक्रिया है। बैंक उधारकर्ताओं के खिलाफ वसूली के लिए विभिन्न कानूनी और न्यायिक उपायों का उपयोग करते हैं। इनमें ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) और सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करना शामिल है। इसके अलावा, दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में भी मामलों को दायर किया जाता है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) का वितरण
पंकज चौधरी ने यह भी बताया कि पिछले पांच वर्षों में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत 21.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है। यह योजना छोटे उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है और इसके तहत लाखों रोजगार के अवसर पैदा किए गए हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने SARFAESI अधिनियम के तहत 2,15,709 मामलों में कुल 32,466 करोड़ रुपये की वसूली की है।